इस पोस्ट में आषाढ़ मास के मेले और त्यौहार का विस्तार से अध्ययन करेंगे |

हिन्दू कैलेंडर के अनुसार ज्येष्ठ वर्ष का चौथा महीना होता है। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार यह जून-जुलाई महीने में आता है।यह माह भारत में वर्षा ऋतू के आगमन का माह होता है।
आषाढ़ मास के मेले और त्यौहार
कृष्ण पक्ष | शुक्ल पक्ष |
एकादशी – योगिनी एकादशी | प्रतिपदा – गुप्त नवरात्रा प्रारम्भ |
नवमी – भड़ल्या नवमी आषाढ़ शुक्ल नवमी को भड़ल्या नवमी मनाया जाता है। इस तिथि को भी अक्षय तृतीया के समान ही महत्व रखता है इसे अबूझ मुहूर्त मानते हैं। हिंदू मान्यताओं के अनुसार देवशयनी एकादशी के बाद चार माह तक कोई मांगलिक एवं शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं इस पक्ष में इस दिन किसी भी प्रकार की शुभ गतिविधियां आयोजित की जाती हैं। यह तिथि मुख्य रुप से विवाह जैसे शुभ कार्यों के लिए अधिक प्रसिद्ध है। | |
एकादशी – देवशयनी एकादशी आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवशयनी एकादशी कहा जाता है। इसी दिन से चातुर्मास का आरंभ होता है। माना जाता इस दिन से भगवान श्री हरि विष्णु क्षीरसागर में शयन करते हैं और फिर लगभग चार माह बाद कार्तिकशुक्ल एकादशी को प्रबोधिनी एकादशी या देवउठनी एकादशी पर उन्हें उठाया जाता है। इस बीच के अंतराल को ही चातुर्मास कहा गया है। | |
पूर्णिमा – गुरु पूर्णिमा/ व्यास पूर्णिमा आषाढ़ मास की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा कहते हैं। इस दिन गुरु पूजा का विधान है। |