भारत के भौतिक प्रदेश
नमस्कार दोस्तों आज हम भारत के भौतिक प्रदेश /Bharat Ke Bhotik Pradesh in Hindi पढेंगे .
हमारे देश में हर प्रकार की भू-आकृतियाँ पायी जाती हैं, जैसे- पर्वत, मैदान, मरुस्थल, पठार तथा द्वीप समूह।
यहाँ विभिन्न प्रकार की शैलें पायी जाती हैं, जिनमें से कुछ संगमरमर की तरह कठोर होती हैं, जिसका प्रयोग ताजमहल के निर्माण में हुआ है एवं कुछ सेलखड़ी की तरह मुलायम होती हैं, जिसका प्रयोग टेल्कम पाउडर बनाने में होता है।
एक स्थान से दूसरे स्थान पर मृदा के रंगों में भिन्नता पायी जाती है क्योंकि मृदा विभिन्न प्रकार की शैलों से बनी होती हैं।
इनमें से अधिकतर विविधताएँ शैलों के निर्माण में विभिन्नता के कारण होती हैं।
भारत एक विशाल भूभाग है।
इसका निर्माण विभिन्न भूगर्भीय कालों के दौरान हुआ है, जिसने इसके उच्चावचों को प्रभावित किया है।
भूगर्भीय निर्माणों के अतिरिक्त, कई अन्य प्रक्रियाओ, जैसे-अपक्षय, अपरदन तथा निक्षेपण के द्वारा वर्तमान उच्चावचों का निर्माण तथा संशोधन हुआ है।
सबसे प्राचीन भूभाग (अर्थात् प्रायद्वीपीय भाग) गोंडवाना भूमि का एक हिस्सा था।
गोंडवाना भूभाग के विशाल क्षेत्र में भारत, आस्ट्रेलिया, दक्षिण अफ्रीका, दक्षिण अमेरिका तथा अंटार्कटिक के क्षेत्र शामिल थे।
संवहनीय धाराओं ने भू-पर्पटी को अनेक टुकड़ों में विभाजित कर दिया और इस प्रकार भारत-आस्ट्रेलिया की प्लेट गोंडवाना भूमि से अलग होने के बाद उत्तर दिशा की ओर प्रवाहित होने लगी।
उत्तर दिशा की ओर प्रवाह के परिणामस्वरूप ये प्लेट अपने से अधिक विशाल प्लेट, यूरेशियन प्लेट से टकरायी।
इस टकराव के कारण इन दोनो प्लेटों के बीच स्थित ‘टेथिस’ भू-अभिनति के अवसादी चट्टान, वलित होकर हिमालय तथा पश्चिम एशिया की पर्वतीय श्रृंखला के रूप में विकसित हो गये।
गोंडवाना भूमिः ये प्राचीन विशाल महाद्वीप पैंजिया का दक्षिणतम भाग है, जिसके उत्तर में अंगारा भूमि है।
‘टेथिस’ के हिमालय के रूप में ऊपर उठने तथा प्रायद्वीपीय पठार के उत्तरी किनारे के नीचे धंसने के परिणामस्वरूप एक बहुत बड़ी द्रोणी का निर्माण हुआ।
समय के साथ-साथ यह बेसिन उत्तर के पर्वतों एवं दक्षिण के प्रायद्वीपीय पठारों से बहने वाली नदियों के अवसादी निक्षेपों द्वारा धीरे-धीरे भर गया।
इस प्रकार जलोढ़ निक्षेपों से निर्मित एक विस्तृत समतल भूभाग भारत के उत्तरी मैदान के रूप में विकसित हो गया।
भारत की भूमि बहुत अधिक भौतिक विभिन्नताओं को दर्शाती है।
भूगर्भीय तौर पर प्रायद्वीपीय पठार पृथ्वी की सतह का प्राचीनतम भाग है।
इसे भूमि का एक बहुत ही स्थिर भाग माना जाता था।
परंतु हाल के भूकंपों ने इसे गलत साबित किया है। हिमालय एवं उत्तरी मैदान हाल ही में बनी स्थलाकृतियाँ हैं।
भूगर्भ वैज्ञानिकों के अनुसार हिमालय पर्वत एक अस्थिर भाग है।
हिमालय की पूरी पर्वत श्रृंखला एक युवा स्थलाकृति को दर्शाती है, जिसमें ऊँचे शिखर, गहरी घाटियाँ तथा तेज बहने वाली नदियाँ हैं।
उत्तरी मैदान जलोढ़ निक्षेपों से बने हैं।
प्रायद्वीपीय पठार आग्नेय तथा रूपांतरित शैलों वाली कम ऊँची पहाड़ियों एवं चौड़ी घाटियों से बना है।

प्रशासनिक इकाइयाँ
वर्तमान में भारत 28 राज्यों तथा 8 केन्द्रशासित प्रदेशों में बँटा हुआ है। राज्यों की चुनी हुई स्वतंत्र सरकारें हैं, जबकि केन्द्रशासित प्रदेशों पर केन्द्र द्वारा नियुक्त प्रबंधन शासन करता है, हालाँकि पॉण्डिचेरी और दिल्ली की लोकतांत्रिक सरकार भी हैं।
अन्टार्कटिका में दक्षिण गंगोत्री और मैत्री पर भी भारत के वैज्ञानिक-स्थल हैं, यद्यपि अभी तक कोई वास्तविक आधिपत्य स्थापित नहीं किया गया है।
राज्यों के नाम राजधानी का नाम
- अरुणाचल प्रदेश (इटानगर)
- असम (दिसपुर)
- उत्तर प्रदेश (लखनऊ)
- उत्तराखण्ड (देहरादून)
- ओड़िशा (भुवनेश्वर)
- आंध्र प्रदेश (अमरावती)
- कर्नाटक (बंगलोर)
- केरल (तिरुवनंतपुरम)
- गोआ (पणजी)
- गुजरात (गांधीनगर)
- छत्तीसगढ़ (रायपुर)
- झारखंड (रांची)
- तमिलनाडु (चेन्नई)
- तेलंगाना (हैदराबाद)
- त्रिपुरा (अगरतला)
- नागालैंड (कोहिमा)
- पश्चिम बंगाल (कोलकाता)
- पंजाब (चंडीगढ़†)
- बिहार (पटना)
- मणिपुर (इम्फाल)
- मध्य प्रदेश (भोपाल)
- महाराष्ट्र (मुंबई)
- मिज़ोरम (आइजोल)
- मेघालय (शिलांग)
- राजस्थान (जयपुर)
- सिक्किम (गंगटोक)
- हरियाणा (चंडीगढ़†)
- हिमाचल प्रदेश (शिमला)
केन्द्रशासित प्रदेश
- अंडमान व निकोबार द्वीपसमूह(पोर्ट ब्लेयर)
- चंडीगढ़(चंडीगढ़)
- दमन और दीव ,दादरा और नागर हवेली(दमन)
- पॉण्डिचेरी* (पुडुचेरी)
- लक्षद्वीप (कवरत्ती)
- दिल्ली (नई दिल्ली)
- जम्मू और कश्मीर (श्रीनगर/जम्मू)
- लद्दाख
चंडीगढ़ एक केंद्रशासित प्रदेश और पंजाब और हरियाणा दोनों राज्यों की राजधानी है।

भारत की स्थिति और विस्तार
भारत की भौगोलिक आकृतियों को निम्नलिखित वर्गों में विभाजित किया जा सकता है –
(1) हिमालय पर्वत श्रृंखला
(2) उत्तरी मैदान
(3) प्रायद्वीपीय पठार
(4) भारतीय मरुस्थल
(5) तटीय मैदान
(6) द्वीप समूह
1. हिमालय पर्वत
भारत की उत्तरी सीमा पर विस्तृत हिमालय भूगर्भीय रूप से युवा एवं बनावट के दृष्टिकोण से वलित पर्वत श्रृंखला है।
ये पर्वत श्रृंखलाएँ पश्चिम-पूर्व दिशा में सिंधु से लेकर ब्रह्मपुत्र तक फैली हैं।
हिमालय विश्व की सबसे ऊँची पर्वत श्रेणी है और एक अत्यधिक असम अवरोधों में से एक है।
ये 2,400 कि०मी० की लंबाई में फैले एक अर्द्धवृत्त का निर्माण करते हैं।
इसकी चौड़ाई कश्मीर में 400 कि॰मी॰ एवं अरुणाचल में 150 कि॰मी॰ है।
पश्चिमी भाग की अपेक्षा पूर्वी भाग की ऊँचाई में अधिक विविधता पाई जाती है।
अपने पूरे देशांतरीय विस्तार के साथ हिमालय को तीन भागों में बाँट सकते हैं।
इन शृंखलाओं के बीच बहुत अधिक संख्या में घाटियाँ पाई जाती हैं।
सबसे उत्तरी भाग में स्थित श्रृंखला को महान या आंतरिक हिमालय या हिमाद्रि कहते हैं।
यह सबसे अधिक सतत् शृंखला है, जिसमें 6,000 मीटर की औसत ऊँचाई वाले सर्वाधिक ऊँचे शिखर हैं।
इसमें हिमालय के सभी मुख्य शिखर हैं।
हिमालय के प्रमुख शिखर
शिखर | देश | ऊँचाई (मीटर) |
माउंट एवरेस्ट | नेपाल | 8,848 |
कंचनजुंगा | भारत | 8,598 |
मकालु | नेपाल | 8,481 |
धौलागिरि | नेपाल | 8,172 |
नंगा पर्वत | भारत | 8,126 |
अन्नपूर्णा | नेपाल | 8,078 |
नंदा देवी | भारत | 7,817 |
कामेट | भारत | 7,756 |
नामचा बरुआ | भारत | 7,756 |
गुरुला मंधाता | नेपाल | 7,728 |
महान हिमालय के वलय की प्रकृति असममित है।
हिमालय के इस भाग का क्रोड ग्रेनाइट का बना है।
यह शृंखला हमेशा बर्फ से ढंकी रहती है तथा इससे बहुत-सी हिमानियों का प्रवाह होता है।
नेपाल
हिमाद्रि के दक्षिण में स्थित श्रृंखला सबसे अधिक असम है एवं हिमाचल या निम्न हिमालय के नाम से जानी जाती है।
इन शृंखलाओं का निर्माण मुख्यतः अत्याधिक संपीडित तथा परिवर्तित शैलों से हुआ हैं।
इनकी ऊँचाई 3,700 मीटर से 4,500 मीटर के बीच तथा औसत चौड़ाई 50 किलोमीटर है।
जबकि पीर पंजाल श्रृंखला सबसे लंबी तथा सबसे महत्त्वपूर्ण श्रृंखला है, धौलाधर एवं महाभारत श्रृंखलाएँ भी महत्त्वपूर्ण हैं।
इसी श्रृंखला में कश्मीर की घाटी तथा हिमाचल के कांगड़ा एवं कुल्लू की घाटियाँ स्थित हैं।
इस क्षेत्र को पहाड़ी नगरों के लिए जाना जाता है।
हिमालय की सबसे बाहरी श्रृंखला को शिवालिक कहा जाता है।
इनकी चौड़ाई 10 से 50 कि॰मी॰ तथा ऊँचाई 900 से 1,100 मीटर के बीच है।
ये शृंखलाएँ. उत्तर में स्थित मुख्य हिमालय की श्रृंखलाओं से नदियों द्वारा लायी गयी असपिडित अवसादों से बनी है।
ये घाटियाँ बजरी तथा जलोढ़ की मोटी परत से ढंकी हुई हैं।
निम्न हिमाचल तथा शिवालिक के बीच में स्थित लंबवत् घाटी को दून के नाम से जाना जाता है।
कुछ प्रसिद्ध दून हैं- देहरादून, कोटलीदून एवं पाटलीदून।
इस उत्तर-दक्षिण के अतिरिक्त हिमालय को पश्चिम से पूर्व तक स्थित क्षेत्रों के आधार पर भी विभाजित किया गया है।
इन वर्गीकरणों को नदी घाटियों की सीमाओं के आधार पर किया गया है।
उदाहरण के लिए, सतलुज एवं सिंधु के बीच स्थित हिमालय के भाग को पंजाब हिमालय के नाम से जाना जाता है।
लेकिन पश्चिम से पूर्व तक क्रमशः इसे कश्मीर तथा हिमाचल हिमालय के नाम से भी जाना जाता है।
सतलुज तथा काली नदियों के बीच स्थित हिमालय के भाग को कुमाँऊ हिमालय के नाम से भी जाना जाता है।
काली तथा तिस्ता नदियाँ, नेपाल हिमालय का एवं तिस्ता तथा दिहांग नदियाँ असम हिमालय का सीमांकन करती है।
ब्रह्मपुत्र हिमालय की सबसे पूर्वी सीमा बनाती है।
दिहांग महाखड्ड (गार्ज) के बाद हिमालय दक्षिण की ओर एक तीखा मोड़ बनाते हुए भारत की पूर्वी सीमा के साथ फैल जाता है।
इन्हें पूर्वाचल या पूर्वी पहाड़ियों तथा पर्वत श्रृंखलाओं के नाम से जाना जाता है।
ये पहाड़ियाँ उत्तर-पूर्वी राज्यों से होकर गुजरती हैं तथा मजबूत बलुआ पत्थरों, जो अवसादी शैल है, से बनी है।
ये घने जंगलों से ढंकी हैं तथा अधिकतर समानांतर शृंखलाओं एवं घाटियों के रूप में फैली हैं।
पूर्वाचल में पटकाई, नागा, मिज़ो तथा मणिपुर पहाड़ियाँ शामिल हैं।
2. उत्तर का विशाल मैदान –
उत्तरी मैदान तीन प्रमुख नदी प्रणालियों- सिंधु, गंगा एवं ब्रह्मपुत्र तथा इनकी सहायक नदियों से बना है।
यह मैदान जलोढ़ मृदा से बना है।
लाखों वर्षों में हिमालय के गिरिपाद में स्थित बहुत बड़े बेसिन (द्रोणी) में जलोढों का निक्षेप हुआ, जिससे इस उपजाऊ मैदान का निर्माण हुआ है।
इसका विस्तार 7 लाख वर्ग कि०मी० के क्षेत्र पर है।
यह मैदान लगभग 2,400 कि०मी० लंबा एवं 240 से 320 कि०मी० चौड़ा है।
यह सघन जनसंख्या वाला भौगोलिक क्षेत्र है।
समृद्ध मृदा आवरण, प्रर्याप्त पानी की उपलब्धता एवं अनुकूल जलवायु के कारण कृषि की दृष्टि से यह भारत का अत्यधिक उत्पादक क्षेत्र है।
Note: ब्रह्मपुत्र नदी में स्थित माजोली विश्व का सबसे बड़ा नदीय द्वीप है। यहां लोगों का निवास है।
दोआब
‘दोआब’ का अर्थ है, दो नदियों के बीच का भाग। ‘दोआब’ दो शब्दों से मिलकर बना है – दो तथा आब अर्थात् पानी। इसी प्रकार ‘पंजाब’ भी दो शब्दों से मिलकर बना है – पंज का अर्थ है पाँच तथा आब का अर्थ है पानी।
उत्तरी पर्वतों से आने वाली नदियाँ निक्षेपण कार्य में लगी हैं।
नदी के निचले भागों में ढाल कम होने के कारण नदी की गति कम हो जाती है, जिसके परिणामस्वरूप नदीय द्वीपों का निर्माण होता है।
ये नदियाँ अपने निचले भाग में गाद एकत्र हो जाने के कारण बहुत-सी धाराओं में बँट जाती हैं।
इन धाराओं को वितरिकाएँ कहा जाता है।
उत्तरी मैदान को मोटे तौर पर तीन उपवर्गों में विभाजित किया गया है।
उत्तरी मैदान के पश्चिमी भाग को पंजाब का मैदान कहा जाता है।
सिंधु तथा इसकी सहायक नदियों के द्वारा बनाये गए इस मैदान का बहत बड़ा भाग पाकिस्तान में स्थित है।
सिंधु तथा इसकी सहायक नदियाँ झेलम, चेनाब, रावी, ब्यास तथा सतलुज हिमालय से निकलती हैं।
मैदान के इस भाग में दोआबों की संख्या बहुत अधिक है।
गंगा के मैदान का विस्तार घघ्यर तथा तिस्ता नदियों के बीच है।
यह उत्तरी भारत के राज्यों हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड के कुछ भाग तथा पश्चिम बंगाल में फैला है।
ब्रह्मपुत्र का मैदान इसके पश्चिम विशेषकर असम में स्थित है।
उत्तरी मैदानों की व्याख्या सामान्यतः इसके उच्चावचों में बिना किसी विविधता वाले समतल स्थल के रूप में की जाती है। यह सही नहीं है।
इन विस्तृत मैदानों की भौगोलिक आकृतियों में भी विविधता है।
आकृतिक भिन्नता के आधार पर उत्तरी मैदानों को चार भागों में विभाजित किया जा सकता है।
नदियाँ पर्वतों से नीचे उतरते समय शिवालिक की ढाल पर 8 से 16 कि०मी० के चौड़ी पट्टी में गुटिका का निक्षेपण करती हैं।
इसे ‘भाबर’ के नाम से जाना जाता है।
सभी सरिताएँ इस भाबर पट्टी में विलुप्त हो जाती हैं।
इस पट्टी के दक्षिण में ये सरिताएँ एवं नदियाँ पुनः निकल आती हैं।
यह नम तथा दलदली क्षेत्र का निर्माण करती हैं, जिसे ‘तराई’ कहा जाता है।
यह वन्य प्राणियों से भरा घने जंगलों का क्षेत्र था।
बँटवारे के बाद पाकिस्तान से आए शरणार्थियों को कृषि योग्य भूमि उपलब्ध कराने के लिए इस जंगल को काटा जा चुका है
उत्तरी मैदान का सबसे विशालतम भाग पुराने जलोढ़ का बना है।
वे नदियों के बाढ़ वाले मैदान के ऊपर स्थित हैं तथा वेदिका जैसी आकृति प्रदर्शित करते हैं।
इस भाग को ‘भांगर’ के नाम से जाना जाता है।
इस क्षेत्र की मृदा में चूनेदार निक्षेप पाए जाते हैं, जिसे स्थानीय भाषा में ‘कंकड’ कहा जाता है।
बाद वाले मैदानों के नये तथा युवा निक्षेपों को ‘खादर’ कहा जाता है।
इनका लगभग प्रत्येक वर्ष पुननिर्माण होता है, इसलिए ये उपजाऊ होते हैं तथा गहन खेती के लिए आदर्श होते हैं।
3. प्रायद्वीपीय पठार
प्रायद्वीपीय पठार एक मेज की आकृति वाला स्थल है जो पुराने क्रिस्टलीय, आग्नेय तथा रूपांतरित शैलों से बना है।
यह गोंडवाना भूमि के टूटने एवं अपवाह के कारण बना था तथा यही कारण है कि यह प्राचीनतम भूभाग का एक हिस्सा है।
इस पठारी भाग में चौड़ी तथा छिछली घाटियाँ एवं गोलाकार पहाड़ियाँ हैं।
इस पठार के दो मुख्य भाग हैं- ‘मध्य उच्चभूमि’ तथा ‘दक्कन का पठार’।
नर्मदा नदी के उत्तर में प्रायद्वीपीय पठार का वह भाग जो कि मालवा के पठार के अधिकतर भागों पर फैला है उसे मध्य उच्चभूमि के नाम से जाना जाता है।
विंध्य शृंखला दक्षिण में मध्य उच्चभूमि तथा उत्तर-पश्चिम में अरावली से घिरी है।
पश्चिम में यह धीरे-धीरे राजस्थान के बलुई तथा पथरीले मरुस्थल से मिल जाता है।
इस क्षेत्र में बहने वाली नदियाँ, चंबल, सिंध, बेतवा तथा केन दक्षिण-पश्चिम से उत्तर-पूर्व की तरफ बहती हैं।
इस प्रकार वे इस क्षेत्र के ढाल को दर्शाती हैं। मध्य उच्चभूमि पश्चिम में चौड़ी लेकिन पूर्व में संकीर्ण है।
इस पठार के पूर्वी विस्तार को स्थानीय रूप से बुंदेलखंड तथा बघेलखंड के नाम से जाना जाता है।
इसके और पूर्व के विस्तार को दामोदर नदी द्वारा अपवाहित छोटा नागपुर पठार दर्शाता है।
दक्षिण का पठार एक त्रिभुजाकार भूभाग है, जो नर्मदा नदी के दक्षिण में स्थित है।
उत्तर में इसके चौड़े आधार पर सतपुड़ा की श्रृंखला है, जबकि महादेव, कैमूर की पहाड़ी तथा मैकाल श्रृंखला इसके पूर्वी विस्तार हैं।
दक्षिण का पठार पश्चिम में ऊँचा एवं पूर्व की ओर कम ढाल वाला है।
इस पठार का एक भाग उत्तर-पूर्व में भी देखा जाता है, जिसे स्थानीय रूप से ‘मेघालय’, ‘कार्बी एंगलौंग पठार‘ तथा ‘उत्तर कचार पहाड़ी‘ के नाम से जाना जाता है।
यह एक भ्रंश के द्वारा छोटा नागपुर पठार से अलग हो गया है।
पश्चिम से पूर्व की ओर तीन महत्त्वपूर्ण शृंखलाएँ गारो, खासी तथा जयंतिया हैं।
दक्षिण के पठार के पूर्वी एवं पश्चिमी सिरे पर क्रमशः पूर्वी तथा पश्चिमी घाट स्थित हैं।
पश्चिमी घाट, पश्चिमी तट के समानांतर स्थित है।
वे सतत् हैं तथा उन्हें केवल दरों के द्वारा ही पार किया जा सकता है।
पश्चिमी घाट, पूर्वी घाट की अपेक्षा ऊँचे हैं।
पूर्वी घाट के 600 मीटर की औसत ऊँचाई की तुलना में पश्चिमी घाट की ऊँचाई 900 से 1,600 मीटर है।
पूर्वी घाट का विस्तार महानदी घाटी से दक्षिण में नीलगिरी तक है।
पूर्वी घाट का विस्तार सतत् नहीं है।
ये अनियमित हैं एवं बंगाल की खाड़ी में गिरने वाली नदियों ने इनको काट दिया है।
पश्चिमी घाट में पर्वतीय वर्षा होती है।
यह वर्षा घाट के पश्चिमी ढाल पर आर्द्र हवा के टकराकर ऊपर उठने के कारण होती है।
पश्चिमी घाट को विभिन्न स्थानीय नामों से जाना जाता है।
पश्चिमी घाट की ऊँचाई, उत्तर से दक्षिण की ओर बढ़ती जाती है।
इस भाग के शिखर ऊँचे हैं, जैसे- अनाई मुडी (2,695 मी०) तथा डोडा बेटा (2,633 मी.)।
पूर्वी घाट का सबसे ऊँचा शिखर महेंद्रगिरी (1,500 मी.) है।
पूर्वी घाट के दक्षिण-पश्चिम में शेवराय तथा जावेडी की पहाड़ियाँ स्थित हैं।
प्रायद्वीपीय पठार की एक विशेषता यहाँ पायी जाने वाली काली मृदा है, जिसे ‘दक्कन ट्रैप’ के नाम से भी जाना जाता है।
इसकी उत्पत्ति ज्वालामुखी से हुई है, इसलिए इसके शैल आग्नेय हैं।
वास्तव में इन शैलों का समय के साथ अपरदन हुआ है, जिनसे काली मृदा का निर्माण हुआ है।
अरावली की पहाड़ियाँ प्रायद्वीपीय पठार के पश्चिमी एवं उत्तर-पश्चिमी किनारे पर स्थित है।
ये बहुत अधिक अपरदित एवं खंडित पहाड़ियाँ हैं।
ये गुजरात से लेकर दिल्ली तक दक्षिण-पश्चिम एवं उत्तर-पूर्व दिशा में फैली हैं।
4. भारतीय मरुस्थल
अरावली पहाड़ी के पश्चिमी किनारे पर थार का मरुस्थल स्थित है।
यह बालू के टिब्बों से ढंका एक तरंगित मैदान है।
इस क्षेत्र में प्रति वर्ष 150 मि॰मी॰ से भी कम वर्षा होती है।
इस शुष्क जलवायु वाले क्षेत्र में वनस्पति बहुत कम है।
वर्षा ऋतु में ही कुछ सरिताएँ दिखती हैं और उसके बाद वे बालू में ही विलीन हो जाती हैं।
पर्याप्त जल नहीं मिलने से वे समुद्र तक नहीं पहुँच पाती हैं।
केवल ‘लूनी’ ही इस क्षेत्र की सबसे बड़ी नदी है।
बरकान (अर्धचंद्राकार बालू का टीला) का विस्तार बहुत अधिक क्षेत्र पर होता है, लेकिन लंबवत् टीले भारत-पाकिस्तान सीमा के समीप प्रमुखता से पाए जाते हैं।
5. तटीय मैदान
प्रायद्वीपीय पठार के किनारों संकीर्ण तटीय पट्टीयों का विस्तार है।
यह पश्चिम में अरब सागर से लेकर पूर्व में बंगाल की खाड़ी तक विस्तृत है।
पश्चिमी तट पश्चिमी घाट तथा अरब सागर के बीच स्थित एक संकीर्ण मैदान है।
इस मैदान के तीन भाग हैं।
तट के उत्तरी भाग को कोंकण (मुंबई तथा गोवा), मध्य भाग को कन्नड मैदान एवं दक्षिणी भाग को मालाबार तट कहा जाता है।
बंगाल की खाड़ी के साथ विस्तृत मैदान चौड़ा एवं समतल है।
उत्तरी भाग में इसे ‘उत्तरी सरकार’ कहा जाता है।
जबकि दक्षिणी भाग ‘कोरोमंडल’ तट के नाम से जाना जाता है।
बड़ी नदियाँ, जैसे- महानदी, गोदावरी, कृष्णा तथा कावेरी इस तट पर विशाल डेल्टा का निर्माण करती हैं। चिल्का झील पूर्वी तट पर स्थित एक महत्त्वपूर्ण भू-लक्षण है।
चिल्का झील भारत में खारे पानी की सबसे बड़ी झील है। यह उड़ीसा में महानदी डेल्टा के दक्षिण में स्थित है।
6. द्वीप समूह
भारत का मुख्य स्थल भाग अत्यधिक विशाल है।
इसके अतिरिक्त भारत में दो द्वीपों का समूह भी स्थित है।
द्वीपों का यह समूह छोटे प्रवाल द्वीपों से बना है।
पहले इनको लकादीव, मीनीकाय तथा एमीनदीव के नाम से जाना जाता था।
1973 में इनका नाम लक्षद्वीप रखा गया।
यह 32 वर्ग कि०मी० के छोटे से क्षेत्र में फैला है।
कावारत्ती द्वीप लक्षद्वीप का प्रशासनिक मुख्यालय है।
इस द्वीप समूह पर पादप तथा जंतु के बहुत से प्रकार पाए जाते हैं।
पिटली द्वीप, जहाँ मनुष्य का निवास नहीं है, वहाँ एक पक्षी अभयारण्य है।
बंगाल की खाड़ी में उत्तर से दक्षिण के तरफ फैले द्वीप अंडमान एवं निकोबार द्वीप हैं।
यह द्वीप समूह आकार में बड़े संख्या में बहुल तथा बिखरे हुए हैं।
यह द्वीप समूह मुख्यतः दो भागों में बाँटा गया है- उत्तर में अंडमान तथा दक्षिण में निकोबार।
यह माना जाता है कि यह द्वीप समूह निमज्जित पर्वत श्रेणियों के शिखर हैं।
यह द्वीप समूह देश की सुरक्षा के लिए बहुत महत्त्वपूर्ण है।
इन द्वीप समूहों में पाए जाने वाले पादप एवं जंतुओं में बहुत अधिक विविधता है।
ये द्वीप विषवत् वृत के समीप स्थित हैं एवं यहाँ की जलवायु विषुवतीय है तथा यह घने जंगलों से आच्छादित है।
भारत का एकमात्र सक्रिय ज्वालामुखी अंडमान तथा निकोबार द्वीप समूह के बैरेन द्वीप पर स्थित है।
विभिन्न भू-आकृतिक विभागों का विस्तृत विवरण प्रत्येक विभाग की विशेषताएँ स्पष्ट करता है परंतु यह स्पष्ट है कि ये विभाग एक-दूसरे के पूरक हैं और वे देश को प्राकृतिक संसाधनों में समृद्ध बनाते हैं।
उत्तरी पर्वत जल एवं वनों के प्रमुख स्रोत हैं।
उत्तरी मैदान देश के अन्न भंडार हैं।
इनसे प्राचीन सभ्यताओं के विकास को आधार मिला।
पठारी भाग खनिजों के भंडार हैं, जिसने देश के औद्योगीकरण में विशेष भूमिका निभाई है।
तटीय क्षेत्र मत्स्यन और पोत संबंधी क्रिया-कलापों के लिए उपयुक्त स्थान हैं।
इस प्रकार देश की विविध भौतिक आकृतियाँ भविष्य में विकास की अनेक संभावनाएँ प्रदान करती हैं।
प्रवाल
प्रवाल पॉलिप्स कम समय तक जीवित रहने वाले सूक्ष्म प्राणी हैं, जो कि समूह में रहते हैं।
इनका विकास छिछले तथा गर्म जल में होता है।
इनसे कैल्शियम कार्बोनेट का स्राव होता है।
प्रवाल स्राव एवं प्रवाल अस्थियाँ टीले के रूप में निक्षेपित होती हैं।
ये मुख्यतः तीन प्रकार के होते हैं-
1. प्रवाल रोधिका
2. तटीय प्रवाल भित्ति तथा
3. प्रवाल वलय द्वीप
आस्ट्रेलिया का ‘ग्रेट बैरियर रीफ’, प्रवाल रोधिका का अच्छा उदाहरण है।
प्रवाल वलय द्वीप गोलाकार या हार्स शू आकार वाले रोधिका होते हैं।
भारत के भौतिक प्रदेश pdf
भारत के भौतिक प्रदेश प्रश्न – उत्तर /bharat ke bhautik pradesh question answer in hindi
प्रश्न 1. हिमाद्री कहा जाता है-
( 1 ) हिमालय के मध्य भाग को
( 2 ) हिमालय के उत्तरी भाग को
( 3 ) हिमालय के दक्षिणी भाग को
( 4 ) उपर्युक्त में से कोई नहीं
सही उत्तर – ( 2 )
प्रश्न 2. भारत की सबसे पुरानी पर्वत श्रृंखला कौनसी है –
( 1 ) अरावली
( 2 ) पश्चिमी घाट
( 3 ) हिमालय
( 4 ) सतपुड़ा
सही उत्तर – ( 1 )
प्रश्न 3. प्रायद्वीपीय पठार की आकृति है –
( 1 ) वर्गाकार
( 2 ) त्रिभुजाकार
( 3 ) वृत्ताकार
( 4 ) उक्त कोई नहीं
सही उत्तर – ( 2 )
प्रश्न 4. भारत की प्रमुख पर्वत श्रृंखलाएँ है –
( 1 ) हिमालय पर्वत श्रृंखला
( 2 ) अरावली पर्वत श्रृंखला
( 3 ) विंध्य एवं सतपुडा पर्वत श्रृंखला
( 4 ) उपर्युक्त सभी
सही उत्तर – ( 4 )
प्रश्न 5. कुडप्पा क्रम में प्रमुख चट्टानें हैं –
( 1 ) ग्रेनाइट – चाकाइट – खोन्डालाइट
( 2 ) ग्रेनाइट – नीस – शिस्ट
( 3 ) बेसाल्ट – शिस्ट – चूना पत्थर
( 4 ) क्वार्ट्जाइट – चूना पत्थर – बलुआ पत्थर
सही उत्तर – ( 4 )
प्रश्न 6. निम्नांकित में से कौन – सा समुद्र तट पूर्णतया उन्मज्जित है –
( 1 ) सरकार
( 2 ) मालाबार
( 3 ) कोंकण
( 4 ) गुजरात
सही उत्तर – ( 4 )
प्रश्न 7. शिपकीला प्रसिद्ध पर्वतीय दर्रा है –
( 1 ) हिमाचल प्रदेश का
( 2 ) जम्मू एवं कश्मीर का
( 3 ) सिक्किम का
( 4 ) उत्तराखण्ड का
सही उत्तर – ( 1 )
प्रश्न 8. निम्नलिखित पर विचार कीजिए –
A . जम्मू पहाड़ियाँ
B . मिकिर पहाड़ियाँ
C . जास्कर पर्वतमाला
उपरोक्त युग्मों में किस / किन में वर्षा 100 सेमी . से अधिक होती है
( 1 ) A और B
( 2 ) केवल B
( 3 ) A और C
( 4 ) A , B और C
सही उत्तर – ( 2 )
प्रश्न 9. धूपगढ़ चोटी स्थित है –
( 1 ) सतपुड़ा रेन्ज में
( 2 ) मैकाल रेन्ज में
( 3 ) विन्ध्यन रेन्ज में
( 4 ) उक्त किसी में नहीं
सही उत्तर – ( 1 )
प्रश्न 10. बाह्य हिमालय के एकदम दक्षिण में स्थित भू – भाग है –
( 1 ) भाबर
( 2 ) तराई
( 3 ) खादर
( 4 ) बांगर
सही उत्तर – ( 1 )
प्रश्न 11. निम्न में से कौन – सा युग्म सही नहीं है ?
( 1 ) सिक्किम – जेलेप ला
( 2 ) हिमाचल – शिपकी ला
( 3 ) अरुणाचल प्रदेश – नाथू ला
( 4 ) जम्मू-कश्मीर – द्रास दर्रा
सही उत्तर – ( 3 )
प्रश्न 12. वह द्वीप जो भारत की सीमा से बाहर है, हैं –
( 1 ) अमिनी
( 2 ) मूर
( 3 ) ट्राम्बे
( 4 ) बाँका
सही उत्तर – ( 4 )
प्रश्न 13. भारत में गोण्डवाना निक्षेपण सबसे अधिक हुआ है –
( 1 ) गंगा घाटी में
( 2 ) ब्रह्मपुत्र घाटी में
( 3 ) दामोदर घाटी में
( 4 ) महानदी घाटी में
सही उत्तर – ( 3 )
प्रश्न 14. जैसलमेर जिले के अधिकांश क्षेत्र में किस प्रकार के रेत के टीले हैं ?
( 1 ) अनुदैर्घ्य ( सामान्तर )
( 2 ) अनुप्रस्थ
( 3 ) परवलयिक
( 4 ) बरखान
सही उत्तर – ( 1 )
प्रश्न 15. निम्नलिखित में से कौन – सा पर्वत भारत के केवल एक ही राज्य में फैला है ?
( 1 ) अरावली
( 2 ) अजन्ता
( 3 ) सह्याद्रि
( 4 ) सतपुड़ा
सही उत्तर – ( 2 )
Bharat ke bhautik pradesh quiz in hindi
1. गोंडवाना क्रम की चट्टाने पाई जाती हैं?
- संपूर्ण दक्षिणी भारत में
- सोना घाटी में
- नर्मदा घाटी में
- दामोदर घाटी में
2. भू वैज्ञानिक संरचना की दृष्टि से मेघालय है?
- छोटा नागपुर और डेक्कन पठार
- नागा – पटकोई पहाड़ियां सदृश्
- अरावली पर्वतमाला सदृश
- शिवालिका सदृश
3. निम्नांकित में से कौन सी पर्वत श्रेणी ट्रान्स हिमालय में सम्मिलित नहीं है:
- पीरपंजाल
- जास्कर
- शिवालिक
- लद्दाख
4. हिमालय की पर्वत श्रेणियों में जो सम्मिलित नहीं है वह है:
- शिवालिक
- वृहत हिमालय
- काराकोरम
- लघु हिमालय
5. गारो, खासी और जयन्तिया पहाड़ी निम्नलिखित में से किसका भाग है?
- दक्कन पठार का
- उत्तरी मैदान का
- शिवालिक का
- हिमालय का
6. नीलगिरी और अन्नामलाई पहाड़ियों के बीच स्थित दर्रा है:
- पालघाट
- गोरमघाट
- भोरघाट
- थालघाट
7. तमिलनाडु राज्य का सबसे ऊंचा पर्वत शिखर है:
- कोडाई कनाल
- धूपगढ़
- दोदाबेट्टा
- महेंद्रगिरी
8. निम्नांकित में से कौन सी पर्वत श्रेणी पूर्वांचल से संबंधित नहीं है?
- मैकाल
- मिजो
- गारो
- लुशाई
9. दक्षिण भारत का सर्वोच्च शिखर निम्नलिखित में से कौन सा है:
- महेंद्रगिरी
- दोदा बेट्टा
- महाबलेश्वर
- अनाई मुडी
10. निम्नांकित में से कौन सी पहाड़ियां पश्चिमी घाट से संबंधित नहीं है?
- इलायची
- पालकोण्डा
- नीलगिरी
- अन्नामलाई
11. महाबलेश्वर निम्नलिखित में से किस राज्य में स्थित है?
- कर्नाटक
- महाराष्ट्र
- गुजरात
- केरल
12. भारत का प्राचीनतम पर्वत क्रम कौन सा है?
- अरावली
- विंध्याचल
- हिमालय
- सतपुड़ा
13. भारत का कौन सा प्राचीन पठारी भाग सबसे ऊंचा उठा है?
- मैसूर का पठार
- लावा का पठार
- शिलांग का पठार
- पश्चिमी घाट की दक्षिणावर्ती पहाड़ियां
14. पीर पंजाल श्रेणी पाई जाती है?
- पंजाब में
- उत्तराखंड में
- जम्मू एवं कश्मीर में
- अरुणाचल प्रदेश में
15. हिमालय का सर्वाधिक ऊंचा भाग विद्यमान है?
- नेपाल हिमालय में
- पंजाब हिमाल में
- कुमायूं हिमालय में
- असोम हिमालय में
16. भारत के दक्षिणी पठार का सर्वोच्च बिंदु अवस्थित है?
- नीलगिरी में
- इलायची पहाड़ियों में
- अन्नामलाई में
- सह्मद्रि में
17. निम्न में से कौन सा उत्तर से दक्षिण की ओर सही क्रम में है?
- विंध्याचल, ताप्ती, नर्मदा, सतपुड़ा
- नर्मदा, विंध्याचल, ताप्ती, सतपुड़ा
- विंध्याचल, सतपुड़ा, नीलगिरी, ताप्ती
- विंध्याचल, नर्मदा, सतपुड़ा, ताप्ती
18. धौलाधर तथा पीरपंजाल नामक पर्वत श्रेणी अवस्थित है?
- बाह्य हिमालय में
- लघु हिमालय में
- ट्रान्स हिमालय में
- महान हिमालय में
19. स्वतंत्रता के पूर्व अंडमान तथा निकोबार दीप समूह को काला पानी के नाम से जाना जाता था, वर्तमान में किस स्थान को सफेद पानी के नाम से जाना जाता है?
- श्रीलंका
- सियाचिन क्षेत्र
- उत्तरी ध्रुवीय क्षेत्र
- अंटार्कटिका
20. किस भारतीय राज्य का आंशिक भाग हिमालय पर्वत के उत्तर में स्थित है?
- हिमाचल प्रदेश
- अरुणाचल प्रदेश
- सिक्किम
- जम्मू कश्मीर
21. भारत का कौन सा आकृतिक विभाग प्राचीनतम है?
- तटीय मैदान
- प्रायद्वीपीय पठार
- उत्तरी पर्वतीय प्रदेश
- गंगा ब्रह्मपुत्र का मैदान
22. K2 (गॉडविन आस्टिन) किस पर्वत श्रृंखला की पर्वत चोटी है?
- पीरपंजाल
- काराकोरम
- हिमालय
- जस्कर
23. पूर्वी घाट एवं पश्चिमी घाट को जोड़ने वाली पहाड़ियां निम्नांकित में से हैं?
- इलायची पहाड़ियां
- अन्नामलाई पहाड़ियां
- पालनी पहाड़ियां
- नीलगिरी पहाड़ियां
24. पश्चिमी घाट निम्नलिखित में से किस तरह की पर्वत श्रेणी है?
- नवीन मोड़दार पर्वत
- अवशिष्ट पर्वत
- ज्वालामुखी पर्वत
- ब्लॉक पर्वत
25. निम्नांकित में से कौन सा हिमालय का पर्वतीय प्रदेश है?
- अरावली
- ट्रांस हिमालय
- वृहद हिमालय
- शिवालिक
26. दण्डकारण्य क्षेत्र अवस्थित है?
- आंध्र प्रदेश एवं झारखंड
- छत्तीसगढ़ एवं मध्य प्रदेश
- झारखंड एवं ओडीशा
- छत्तीसगढ़ एवं ओडीशा
27. मिकिर पहाड़ियां किस राज्य में विस्तृत है?
- असम
- झारखंड
- सिक्किम
- मेघालय
28. निम्नलिखित में से कौन सा एक कर्नाटक केरल एवं तमिलनाडु राज्य के मिलन स्थल पर स्थित है?
- नीलगिरी पहाड़ियां
- नंदी पहाड़ियां
- अन्नामलाई पहाड़ियां
- पालनी पहाड़ियां
29. अरावली श्रेणी किस राज्य में स्थित है?
- आंध्र प्रदेश
- राजस्थान
- हिमाचल प्रदेश
- ओडीशा
30. भारत के पश्चिमी तटीय मैदान के उत्तरी भाग को जिस अन्य नाम से भी जाना जाता है वह है?
- कोरोमंडल तट
- मालाबार तट
- कोंकण तट
- कर्नाटक तट
31. भारतीय उपमहाद्वीप मूलतः एक विशाल भूखंड का भाग था जिसे कहते हैं?
- गोंडवानालैंड
- जुरासिक भूखंड
- आर्यावर्त
- इंडियाना
32. निम्न में से कौन सा कथन गलत है?
- भारत में गोंडवाना शिलाओं में कोयले का बृहत्तम भंडार है।
- भारत के पश्चिमी समुद्र तट का निर्माण नदियों की जमाव क्रिया द्वारा हुआ है।
- हिमालय विश्व में सबसे नवीन (फोल्डेड) पर्वतों को प्रदर्शित करते हैं।
- भौमिकीय दृष्टि से प्रायद्वीप क्षेत्र भारत का सबसे प्राचीन भाग है।
33. उत्तर भारत में उप हिमालय क्षेत्र के सहारे पहले समतल मैदान को कहा जाता है?
- भाभर
- खादर
- तराई
- दून
34. शिवालिक पहाड़ियां निम्न में से किस का हिस्सा है?
- पश्चिमी घाट
- सतपुड़ा
- अरावली
- हिमालय
35. कुमाऊं हिमालय निम्नलिखित में किन नदियों के बीच स्थित है?
- सतलज और काली
- काली और तिस्ता
- सिंधु और सतलाज
- तिस्ता और ब्रह्मपुत्र
Question was not answered
36. हिमालय पर्वत श्रेणियां निम्नलिखित में से किस राज्य का हिस्सा नहीं है?
- हिमाचल प्रदेश
- सिक्किम
- उत्तर प्रदेश
- उत्तराखंड
37. सेवरॉय पहाड़ियां कहां अवस्थित है?
- तमिलनाडु
- कर्नाटक
- केरल
- आंध्र प्रदेश
38. धूपगढ़ चोटी कहां स्थित है?
- मैकाल रेंज में
- सतपुड़ा रेंज में
- विंध्य रेंज में
- इनमें से कोई नहीं
Question was not answered
39. कोडाईकनाल किस पहाड़ी में स्थित है?
- अन्नामलाई
- बूंदी
- अमरकंटक
- पलानी
40. कौन सा सबसे ऊंचा पर्वत शिखर है?
- मकालु
- कंचनजंघा
- लोटसे
- माउंट एवरेस्ट
Question was not answered
41. प्रथम भारतीय नारी जो एवरेस्ट शिखर पर चढ़ने में सफल हुई है?
- पी टी उषा
- डिक्की डोलमा
- बछेंद्री पाल
- संतोष यादव
Question was not answered
42. माउंट एवरेस्ट शिखर पर चढ़ने वाली पहली महिला कौन थी?
- कारोलिन मिकेलसन
- वेलेंटीना टैरेश्कोवा
- जुंको ताबेई
- इनमें से कोई नहीं
Question was not answered
43. दो बार माउंट एवरेस्ट पर विजय प्राप्त करने वाली महिला पर्वतारोही कौन है?
- बछेंद्री पाल
- संतोष यादव
- चंद्रप्रभा एतवाल
- जया क्षेत्री
44. दो बार माउंट एवरेस्ट पर विजय प्राप्त करने वाली महिला पर्वतारोही कौन है?
- बछेंद्री पाल
- संतोष यादव
- चंद्रप्रभा एतवाल
- जया क्षेत्री
45. भारत की सर्वोच्च पर्वत चोटी कौन सी है?
- एवरेस्ट
- कंचनजंगा
- K2 (गॉडविन ऑस्टिन)
- नंदा देवी
46. नंदा देवी कहां स्थित है
- सिक्किम में
- उत्तराखंड में
- नेपाल में
- हिमाचल प्रदेश में
47. अरब सागर में स्थित भारतीय द्वीपों की सर्वाधिक महत्वपूर्ण विशेषता क्या है?
- वे सभी आकार में काफी छोटे हैंl
- वहां अती शुष्क जलवायु हैl
- वह मुख्य भूमि के विस्तारित क्षेत्र हैंl
- वे सभी प्रवाल उद्गम के हैंl
48. भारत का पूर्वी समुद्री तट किस नाम से जाना जाता है?
- कोंकण तट
- मालाबार तट
- कोरोमंडल तट
- दीघा तट
49. भारतवर्ष की जल क्षेत्र सीमा कहां तक फैली हुई है?
- 12 नॉटिकल मील
- 6 नॉटिकल मील
- 10 नॉटिकल मील
- 15 नॉटिकल मील
50. कौन सी पर्वत श्रेणी हमारी उत्तरी सीमाओं के प्राकृतिक दीवार जैसा काम करती है?
- विंध्य
- सतपुड़ा
- हिमालय
- अरावली