भारत की मिट्टियाँ

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नमस्कार दोस्तों RJS Education में आपका स्वागत है . आज हम भारत की मिट्टियाँ टॉपिक के बारे पढेंगे.

मृदा या मिट्टी

भूमी की सबसे ऊपरी परत जो पेड़-पौधों के उगने के लिए आवश्यक खनिज आदि प्रदान करती है, मृदा या मिट्टी कहलाती है।

भिन्न स्थानों पर भिन्न प्रकार की मिट्टी पाई जाती है इनकी भिन्नता का सम्बन्ध वहां की चट्टानों की सरंचना, धरातलीय स्वरूपजलवायुवनस्पति आदि से होता है।

मिट्टी के अध्ययन के विज्ञान को मृदा विज्ञान यानी पेडोलोजी कहा जाता है।

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् ने भारत की मिट्टियों का विभाजन 8 प्रकार में किया है –

India Soil
भारत की मिट्टियाँ

भारत की मिट्टियों का वर्गीकरण

1. जलोढ़ मिट्टी

जलोढ़ मिट्टी को दोमट और कछार मिट्टी के नाम से भी जाना जाता है। नदियों द्वारा लाई गई मिट्टी को जलोढ़ मिट्टी कहते हैं। यह मिट्टी देश के 40 प्रतिशत भागों में लगभग 15 लाख वर्ग किमी. क्षेत्र में विस्तृत है। यह तटीय मैदानों व डेल्टा प्रदेशों में अधिक मिलती है।

इसे बांगर व खादर में विभग किया जाता है।

बांगर – यह प्राचीन जलोढ़क (नदियों द्वारा लाई गई पुरानी मिट्टी) है। इनकी उर्वरता कम होती है इसलिए इनकी उर्वरता बनाए रखने के लिए उर्वरकों की आवश्यकता होती है।

खादर – यह नवीन जलोढ़ है यानी प्रत्येक साल बाढ़ द्वारा लाई गई मिट्टी है। यह बांगर की अपेक्षा अधिक उपजाऊ होती है।

जलोढ़ मिट्टीयों में पोटाश, फास्फोरिक अम्ल, चूना व कार्बनिक तत्व अधिक होते हैं। वहीं नाइट्रोजन व ह्यूमस की कमी होती है।

शुष्क क्षेत्रों में इस प्रकार की मिट्टी में लवणीय और क्षारीय गुण भी पाए जाते हैं, जिन्हें स्थानीय भाषाओं में रेहकल्लर या धूर नामों से भी जाना जाता है।

जलोढ़ मिट्टी धान, गेहूं, गन्ना, दलहन, तिलहन आदि की खेती के लिए उपयुक्त है।

2. काली मिट्टी

इसे रेगुर मिट्टी या कपासी मिट्टी भी कहा जाता है। इसे अंतर्राष्ट्रीय रूप से उष्ण कटिबंधीय चरनोजम भी कहा जाता है। इसका रंग काला होता है तथा यह कपास की खेती हेतु सबसे उपयुक्त मिट्टी है।

इसका निर्माण ज्वालामुखी लावा के अपक्षयण व अपरदन से हुआ है। मैग्नेटाइट, लोहा, एल्यूमिनियम सिलिकेट, ह्यूमस आदि की उपस्थिति के कारण इसका रंग काला हो जाता है। इसमें नमी धारण करने की बेहतर क्षमता होती है। इसमें कपास, मोटे अनाज, तिलहन, सूर्यमुखी, सब्जियां, खट्टे फल आदि की कृषि होती है।

इस प्रकार की मिट्टी का सर्वाधिक विस्तार महाराष्ट्र में है। जहां इसे दक्कन ट्रैप से बनी मिट्टी भी कहा जाता है।

इस मिट्टी में लोहा, चूना, पोटाश, एल्यूमिनियम, कैल्शियम व मैग्नेशियम कार्बोनेट प्रचुर मात्रा में होता है, जबकि नाइट्रोजन, फास्फोरस व कार्बनिक तत्वों की कमी होती है।

प्रायद्वीपीय काली मिट्टी को सामान्यतः तीन भागों में बांटा जाता है –

छिछली काली मिट्टी – इसका निर्माण दक्षिण में बेसाल्ट ट्रैपों से हुआ है।

मध्यम काली मिट्टी – इसका निर्माण बेसाल्ट, शिस्ट, ग्रेनाइट, नीस आदि चट्टानों की टूट-फूट से हुआ है।

गहरी काली मिट्टी – यही वास्तविक काली मिट्टी है, जिसका निर्माण ज्वालामुखी के उद्गार से हुआ है।

3. लाल मिट्टी

सामान्य से लेकर भारी वर्षा वाले क्षेत्रों में प्राचीन क्रिस्टलीय शैलों के अपक्षयण व अपरदन (चट्टानों की कटी हुई मिट्टी)से इसका निर्माण हुआ है।यह मिट्टी अधिकतर दक्षिणी भारत में मिलती है। इसका लाल रंग लौह आॅक्साइड की उपस्थिति के कारण है। यह अपेक्षाकृत कम उपजाऊ मिट्टी है तथा इसमें सिंचाई की आवश्यकता होती है। ये मिट्टी लगभग पूरे तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, कर्नाटक, महाराष्ट्र और उड़ीसा के कुछ हिस्सों में पायी जाती है। ऊंचे क्षेत्रों में यह बाजरा, मूंगफली और आलू के उपयुक्त है, वहीं निम्न क्षेत्रों में यह चावल, रागी, तंबाकू और सब्जियों के लिए उपयुक्त है।

इस मिट्टी में घुलनशील लवणों की पर्याप्तता होती है, परन्तु फास्फोरिक अम्ल, कार्बनिक तत्व, जैविक पदार्थ, चूना व नाइट्रोजन की कमी पाई जाती है।

4. लैटेराइट मिट्टी

इन मृदाओं का अध्ययन सर्वप्रथम एफ. बुकानन द्वारा 1905 में किया गया। यह मुख्यतः प्रायद्वीपीय भारत के पठारों के ऊपरी भागों में विकसित हुई। 200 सेमी. से अधिक वर्षा वाले क्षेत्रों में चूना व सिलिका के निक्षालन से इसकी उत्पत्ति होती है। इस प्रकार की मिट्टी में सामान्यतः झाड़ व चारागाह होते हैं, परन्तु उर्वरक का उपयोग कर चावल, रागी, काजू आदि की उपज संभव है। इस मिट्टी में लौह-आॅक्साइड व एल्यूमिनियम आॅक्साइड की प्रचुरता होती है, परन्तु नाइट्रोजन, फास्फोरिक अम्ल, पोटाश, चूना और कार्बनिक तत्वों की कमी मिलती है। ये मिट्टी आमतौर पर केरल, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, उड़ीसा और असम के पहाड़ी इलाकों में पायी जाती है।

कणों के आकार के आधार पर लैटेराइट मिट्टियों को तीन भागों में विभक्त किया जा सकता है।

भूजलीय लैटैराइट – इस प्रकार की मिट्टियों का निर्माण भूगर्भीय जल की सहायता से होता है।

गहरी लाल लैटेराइट – इसमें लौह-आॅक्साइड और पोटाश की मात्रा अधिक होती है।

श्वेत लैटेराइट – इसमें कैओलिन की अधिकता के कारण मिट्टी का रंग सफेद होता है।

5. पर्वतीय मिट्टी

इसे वनीय मृदा भी कहा जाता है। इस प्रकार की मिट्टियां हिमालय की घटियों में ढलानों पर पायी जाती है। यह निर्माणाधीन मिट्टी है। इनका पूर्ण रूप से अध्ययन नहीं हुआ है। ह्यूमस की अधिकता के कारण यह अम्लीय गुण रखती है। इस प्रकार की मिट्टी में चाय, काॅफी, मसाले एवं उष्णकटिबंधीय फलों की खेती संभव है। इस प्रकार की मिट्टी जम्मू-कश्मीर से लेकर अरूणाचल प्रदेश तक के पर्वतीय क्षेत्र में मिलती है।

6. शुष्क और मरूस्थलीय मिट्टियां

इस प्रकार की मिट्टी अरावली पर्वत और सिन्धु घाटी के मध्यवर्ती क्षेत्रों विशेषतः पश्चिमी राजस्थान, उत्तरी गुजरात, दक्षिणी हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में मिलती है। इस मिट्टी में बालू की मात्रा पायी जाती है व ज्वार जैसे मोट अनाजों की खेती के लिए उपयुक्त है। इन मिट्टियों में घुलनशील लवणों एवं फास्फोरस की मात्रा अधिक होती है जबकि कार्बनिक तत्वों एवं नाइट्रोजन की कमी होती है।

7. लवणीय व क्षारीय मिट्यिां

यह एक अंतः क्षेत्रीय मिट्टी है, जिसका विस्तार सभी जलवायु प्रदेशों में है। यह मिट्टी राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र, तमिलनाडु के शुष्क व अर्द्धशुष्क प्रदेशों में विस्तृत है।

सोडियम व मैग्नेशियम की अधिकता के कारण यहां मिट्टी लवणीय तथा कैल्शियम व पौटेशियम की अधिकता के कारण क्षारीय हो गई है। अतः यह खेती के लिए उपयुक्त नहीं है। इन्हें स्थानीय भाषा में रेहकल्लररकारऊसरकार्लचाॅपेन आदि कहा जाता है।

8. पीट एवं दलदली मिट्टियां

इस प्रकार की मिट्टी का निर्माण अत्यधिक आर्द्रता वाली दशाओं में बड़ी मात्रा में कार्बनिक तत्वों के जमाव के कारण होता है। यह मुख्य रूप से तटीय प्रदेशों एवं जल-जमाव के क्षेत्रों में पायी जाती है। इसमें घुलनशील लवणों की पर्याप्तता होती है, परन्तु फास्फोरस व पोटाश की कमी रहती है। यह मिट्टी खेती के लिए अनुपयुक्त है। फेरस आयरन होने के कारण इसका रंग नीला होता है। यह अम्लीय स्वभाव की मृदा होती है। इस प्रकार की मृदा बिहार, उत्तराखंड, पश्चिम बंगाल, उड़ीसा व तमिलनाडु में मिलती है।

मिट्टी की उर्वरता में कमी का कारण

पोषक तत्वों का ह्रास

निक्षालन – भारी वर्षा के कारण

अपरदन – उर्वरतायुक्त मिट्टी की सतह का ह्रास

कृषि भूमि का अति-उपयोग

दोषपूर्ण कृषि प्रबंधन

भारत की मिट्टियों में सामान्यतः नाइट्रोजन, फास्फोरस व पोटाश की कमी होती है। इसके लिए कार्बनिक खादों व उर्वरकों का उपयोग किया जाता है। चक्रीय कृषि, मिश्रित कृषि आदि से मिट्टी की गुणवत्ता में वृद्धि होती है।

देश में मृदा अपरदन व उसके दुष्परिणों पर नियंत्रण हेतु सन् 1953 में केन्द्रीय मृदा संरक्षण बोर्ड का गठन किया गया, जिसका कार्य राष्ट्रीय स्तर पर मृदा संरक्षण के कार्यक्रमों का संचालन करना था।

मरूस्थल की समस्या के अध्ययन के लिए जोधपुर में काजरी(Central Arid Zone Research Institute – CAZRI) की स्थापना की गई है।

19 फरवरी, 2015 को राजस्थान के सूरतगढ़ से मिट्टी की खराब गुणवत्ता की जांच करने और कृषि उत्पादकता बढ़ाने हेतु ‘मृदा स्वास्थ्य कार्ड’ योजना की शुरूआत की गई। इस योजना पर 75 प्रतिशत राशि केंद्र सरकार वहन करेगी। इस योजना का ध्येय वाक्य ‘स्वस्थ धरा, खेत हरा’ है। प्रत्येक 3 वर्ष पर कार्ड का नवीनीकरण होगा।

भारत की मिट्टियाँ तथ्य

  • मिट्टी का रंग मैग्नीशियम की अधिकता के कारण पीला होता है।
  • मालाबार तट पर ‘केरल के पश्च जल’ में पाई जाने वाली पीट मृदा को ‘कारी’ कहते हैं।
  • फलों को शीघ्र पकाने में ‘फाॅस्फोरस’ की महत्वपूर्ण भूमिका होती है।
  • वायुमंडल के नत्रजन का स्थिरीकरण करने वाली दलहनी फसलें चना, मटर, मूंग आदि हैं।
  • परत अपरदन को ‘किसान की मौत’ भी कहा जाता है।
  • चम्बल नदी क्षेत्र अवनालिका अपरदन से सर्वाधिक प्रभावित है।
  • जलोढ़ मिट्टी नदी कछारों में अवसादों के निक्षेपण से बनी मिट्टी है।
  • जलोढ़ भारत की कुल मृदा का 40% है।
  • काली मिट्टी की जलधारण क्षमता अधिक होती है।
  • यह कपास की खेती के लिए उपयुक्त है।
  • काली मिट्टी में गर्मी में गहरी दरारें पड़ जाती हैं इसलिए इसे स्वत: जुताई वाली मिट्टी भी कहते हैं। रेगुर इसका अन्य नाम है।
  • दक्कन का पठार, मालवा का पठार काली मिट्टी के क्षेत्र में आते हैं।
  • काली मिट्टी का सबसे बड़ा क्षेत्र महाराष्ट्र में है।
  • लैटराइट ईंट बनाने की मिट्टी है। इसमें चाय की खेती की जाती है।
  • लैटराइट मिट्टी सबसे अधिक केरल में पायी जाती है।

मिट्टियाँ और उनके बनने की क्रियाविधि

  • जलोढ़ मिट्टी – नदियों द्वारा लाए गए अवसादों के निक्षेपण से।
  • काली मिट्टी – बेसाल्ट या लावा के अपक्षयण से।
  • लाल पीली मिट्टी – ग्रेनाइट और नीस के विखंडन से।
  • लैटराइट मिट्टी – चूना और रेत के निक्षालन से।
  • वनीय मिट्टी – पर्वतों के अपरदन और वनस्पतियों के अवशेषों से
  • मरुस्थलीय मिट्टी – व्यापक अपरदन से।
  • लवणीय मिट्टी – उच्च ज्वारों से मृदा का लवणीय होना।
  • पीट मिट्टी – दलदली मिट्टी।

मिट्टियाँ और फसल उपयुक्तता

जलोढगहन खेती
कालीकपास
लाल पीलीधान
वनीय मिट्टीकाफी, काजू, मसाले।
मरुस्थलीय शुष्क मिट्टीज्वार-बाजरा (मोटे अनाज)
लवणीय मिट्टीअनुपजाऊ। बरसीम, आंवला, अमरूद।
मिट्टियाँ और फसल उपयुक्तता

भारत की मिट्टियाँ और उसके क्षेत्र

जलोढउत्तरी विशाल और तटवर्ती मैदान।
कालीदक्कन का पठार, मालवा, महाराष्ट्र, गुजरात।
लाल पीलीओडिशा, छत्तीसगढ़ का मैदान।
वनीय मिट्टीपर्वतीय ढलान।
मरुस्थलीय शुष्क मिट्टीराजस्थान, कच्छ और सौराष्ट्र।
लवणीय मिट्टीगुजरात और पश्चिमी तटीय क्षेत्र।
लैटेराइटकेरल, कर्नाटक, छत्तीसगढ़ और ओडिशा के पठार।
पीट या जैविक मिट्टीअल्मोड़ा, सुंदरवन।
भारत की मिट्टियाँ और उसके क्षेत्र

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भारत की मिट्टियाँ प्रश्न उत्तर

(1) मृदा निर्माण में _______________ अपक्षय और ह्यूमस निर्माण की दर को प्रभावित करते हैं|
(a) वनस्पतिजात और प्राणीजात
(b) समय
(c) जनक चट्टान
(d) जलवायु
Ans- d [SSC CGL 2017]
(2) मृदा का लवणीकरण किस कारण होता है?
(a) पीड़कनाशी
(b) भूमि कटाव
(c) अधिक सिंचाई
(d) फसल आवर्तन
Ans- c [SSC CGL 2016]
(3) मृदा की लवणता मापी जाती है
(a) चालकता मापी से
(b) आर्द्रता मापी से
(c) साइक्रोमीटर से
(d) वृद्धिमापी से
Ans- a [SSC CGL 2012]
(4) निम्नलिखित राज्यों में से किसमें भारत की सबसे बड़ी अंतर्देशीय लवणीय आर्द्र भूमि है?
(a) गुजरात
(b) हरियाणा
(c) मध्य प्रदेश
(d) राजस्थान
Ans- d [IAS (Pre) 2009]
(5) मिट्टी में लवणता (खारापन) एवं क्षारीयता की समस्या का समाधान है-
(a) खेतों में जिप्सम का उपयोग
(b) शुष्क-कृषि विधि
(c) वृक्षारोपण
(d) समोच्च रेखाओं के अनुसार कृषि
Ans- a [RAS/RTS (Pre) G.S. 1997-98, RAS/RTS (Pre.) 1996]
(6) तेजाबी मिट्टी को कृषि योग्य बनाने हेतु निम्नलिखित में से किसका उपयोग किया जा सकता है?
(a) जिप्सम
(b) लाइम
(c) कैल्सियम सुपरफॉस्फेट
(d) वेजिटेबल कॉम्पोस्ट
Ans- b [MPPSC (Pre) 2005]
(7) एलुमिनियम तथा आयरन ऑक्साइड के अत्यधिक मात्रा वाली मृदा को ___________________ भी कहते हैं|
(a) चारागाह मृदा
(b) पेडलफर मृदा
(c) चर्नोजेम मृदा
(d) पॉडजॉल मृदा
Ans- b [SSC CGL 2017]
(8) प्रचुर कैल्सियम वाली मृदा को क्या कहा जाता है?
(a) पेडोकल
(b) पेडलफर
(c) पॉडसाल
(d) लैटेराइट
Ans- a [SSC CHSL 2014]
(9) भारतीय मृदाओं में जिस सूक्ष्म तत्व की सर्वाधिक कमी है, वह है-
(a) लोहा
(b) ताँबा
(c) मैंगनीज
(d) जस्ता
Ans- d [UP Lower (Pre) 2003]
(10) मृदा जल के माध्यम से शीर्ष मृदा से अवमृदा में खनिजों के स्थानांतरण की क्रिया को क्या कहते हैं?
(a) परिस्रवण
(b) चालन
(c) प्रक्षालन
(d) पारश्वसन
Ans- c [SSC CGL 2016]
(11) भारत में बंजर भूमि का सबसे बड़ा हिस्सा किस राज्य का है?
(a) गुजरात
(b) आंध्र प्रदेश
(c) मध्य प्रदेश
(d) राजस्थान
Ans- d [SSC CGL 2017]
(12) भारत के उत्तरी मैदानों की मृदा सामान्यतः कैसे बनी है?
(a) तलावचन द्वारा
(b) तलोच्चन द्वारा
(c) स्वस्थाने अपक्षयण द्वारा
(d) अपरदन द्वारा
Ans- b [SSC CGL 2005, 2011]
(13) निम्नलिखित में से कौन-सा मृदा से सम्बन्धित है?
(a) क्लाइमेटिक
(b) इडेफिक
(c) बायोटिक
(d) टोपोग्रैफी
Ans- b [UPPCS (Pre.) 2015]

(14) एन्टीसोल (Entisol) है-
(a) काली कपास की मिट्टी
(b) जलोढ़ मिट्टी
(c) लैटेराइट मिट्टी
(d) लाल मिट्टी
Ans- b [UPPCS (Pre) G.S. 2004]
(15) भारत भूमि पर सबसे अधिक व्यापक रूप में कौन-सी मिट्टी फैली हुई है?
(a) लैटराइट मिट्टी
(b) काली मिट्टी
(c) कछारी (जलोढ़) मिट्टी
(d) कच्छी (दलदली) मिट्टी
Ans- c [UPPCS (Pre) Opt. Geog. 2009, MPPSC (Pre) 2005, SSC मैट्रिक स्तरीय परीक्षा, 2002, 2001]
(16) भारत में सबसे अधिक उपजाऊ मृदा कौन-सी हैं?
(a) काली मृदा
(b) लाल मृदा
(c) जलोढ़ मृदा
(d) चूनेदार मृदा
Ans- c [UP RO/ARO (Pre) 2014]
(17) कौन सी मिट्टियों में, सैकड़ों वर्षों से कृषि कार्य बिना अधिक खाद दिए हुए चलता रहा है?
(a) कछारी (जलोढ़) और लेटेराइट मिट्टियाँ
(b) लाल और लेटेराइट मिट्टियाँ
(c) काली और कछारी (जलोढ़) मिट्टियाँ
(d) लेटेराइट और काली मिट्टियाँ
Ans- c [SSC मैट्रिक स्तरीय परीक्षा, 2001]
(18) निम्नलिखित में से वह फसल कौन-सी है जो जलोढ़ मिट्टी में उगती है और जिसके लिए प्रचुर मात्रा में पानी की आवश्यकता होती है?
(a) चाय
(b) गेहूं
(c) चावल
(d) मूंगफली
Ans- c [SSC मैट्रिक स्तरीय 2006]
(19) धान की खेती के लिए सर्वाधिक आदर्श मृदा कौन-सी है?
(a) लैटेराइट मृदा
(b) लाल मृदा
(c) जलोढ़ मृदा
(d) काली मृदा
Ans- c [SSC CHSL 2013]
(20) गंगा की जलोढ़ मृदा की गहराई भूमि सतह के नीचे लगभग-
(a) 600 मीटर तक होती है
(b) 6000 मीटर तक होती है
(c) 800 मीटर तक होती है
(d) 100 मीटर तक होती है
Ans- b [BPSC (Pre) 1994]
(21) गंगा के मैदानों की पुरानी कछारी (जलोढ़) मिट्टी कहलाती है
(a) बांगर
(b) खादर
(c) कल्लर
(d) रेगुड़
Ans- a [SSC CGL 2012]
(22) गंगा घाटी में बांगड़ मिट्टी पाई जाती है-
(a) बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में
(b) नदी नितल में
(c) बाढ़ की वर्तमान सीमाओं से ऊपर
(d) गोखुर झीलों के किनारे
Ans- c [UPPCS (Pre) 2003]
(23) भारत का उत्तरी मैदान ___________से बना है|
(a) कायांतरित मृदा
(b) अग्नेय शैल
(c) जलोढ़ मृदा
(d) पुरानी क्रिस्टलीय चट्टान
Ans- c [SSC CGL 2017]
(24) हिमालय की तलहटी में जलोढ़ पंखों (Alluvial fans) को कहा जाता है-
(a) बाँगर
(b) खादर
(c) बैडलैण्ड
(d) भाबर
Ans- d [MPPSC (Pre) Opt. Geog. 2006]
(25) किसी शुष्क प्रदेश में वृहत सारे जलोढ़ शंकुओं के सम्मिलित होने से बना निरक्षेपण लक्षण कहलाता है –
(a) बॉल्सोन
(b) पेडिमेन्ट
(c) अपवाहन दोषी
(d) बाजादा
Ans- a [Jharkhand PSC (Pre) 2008]

(26) भारत की निम्नलिखित मृदाओं में से कौन-सी बेसाल्ट लावा के अपक्षय के कारण निर्मित हुई है?
(a) लैटेराइट मृदा
(b) रेगूर मृदा
(c) लाल मृदा
(d) जलोढ़ मृदा
Ans-b [UPPCS (Pre.) 2015]
(27) ‘काली मिट्टी’ और किस नाम से जानी जाती है?
(a) खादर मिट्टी
(b) बंगर मिट्टी
(c) कछारी मिट्टी
(d) रेगूर मिट्टी
Ans- d [SSC CGL 2016, MPPSC (Pre) 2006, 2007, 2013, BPSC (Pre) 2000-01, 1997]
(28) देश की निम्नलिखित मिट्टियों में से किसे ‘स्वतःकृष्य मिट्टी’ कहा जाता है?
(a) लैटराइट मिट्टी
(b) जलोढ़ मिट्टी
(c) काली मिट्टी
(d) मरुस्थलीय मिट्टी
Ans- c [UP Lower (Pre) 2009]
(29) रेगुर (Regur) मिट्टी सबसे ज्यादा है-
(a) तमिलनाडु में
(b) महाराष्ट्र में
(c) आन्ध्र प्रदेश में
(d) झारखण्ड में
Ans- b [BPSC (Pre.) 2000]
(30) रेगुड़ मृदा (काली मिट्टी) किसकी कृषि के लिए सर्वाधिक उपयुक्त होती है?
(a) मूंगफली
(b) कपास
(c) तंबाकू
(d) गन्ना
Ans- b [UPSC CAPF 2015, UPPCS (Pre) 2009, SSC मैट्रिक स्तरीय परीक्षा, 2008]
(31) किस मृदा को कम सिंचाई की आवश्यकता होती है, क्योंकि वह मृदा नमी को रोक रखती है?
(a) काली मृदा
(b) जलोढ़ मृदा
(c) लाल मृदा
(d) लैटेराइट मृदा
Ans- a [UPPCS (Pre) 2010]
(32) किस प्रकार की मिट्टी में कार्बनिक पदार्थों की अधिकता होती है?
(a) पीट
(b) काली
(c) लैटेराइट
(d) लाल
Ans- b [SSC CGL 2012]
(33) महाराष्ट्र में सर्वाधिक मात्रा में पायी जाने वाली उपलब्ध मृदा का प्रकार है-
(a) जलोढ़ मिट्टी
(b) काली मिट्टी
(c) मरुस्थलीय मिट्टी
(d) लाल मिट्टी
Ans- b [SSC FCI 2012]
(34) निम्नलिखित में से कौन सी मृदा कपास की खेती के लिए अधिक उपयुक्त है?
(a) काली (रेगुर मिट्टी)
(b) लाल
(c) लेटेराइट
(d) पर्वत
Ans- a [SSC CHSL 2015, UPPCS (Pre) Ist Paper GS, 2014, SSC CPO 2005, MPPSC (Pre) 2003]
(35) भारत में काली मिट्टियों के बारे में निम्नलिखित में से कौन-सा कथन सही नहीं है?
(a) महाराष्ट्र में खूब फैली हैं
(b) विकास बेसाल्ट चट्टान पर हुआ है
(c) जैविक पदार्थ में सम्पन्न परन्तु लोहे में विपन्न है
(d) स्वत: जुताई वाली मिट्टियां है
Ans- c [UPPCS (Pre) Opt. Geog. 2006]
(36) कथन (A) : काली मिट्टी कपास की खेती के लिए उपयुक्त है।
कारण (R) : उनमें जैव तत्व प्रचुर मात्रा में होता है।
नीचे दिये गये कूट से सही उत्तर चुनिये –
कूट :
(a) (A) तथा (R) दोनों सही हैं, परन्तु (R), (A) की सही व्याख्या नहीं है।
(b) (A) तथा (R) दोनों सही हैं तथा (R), (A) की सही व्याख्या है।
(c) (A) सही है, परन्तु (R) गलत है।
(d) (A) गलत है, परन्तु (R) सही है।
Ans- c [UPPCS (Pre) 1999, 2013]

(37) निम्नलिखित मृदाओं में कौन-सी ग्रेनाइट एवं नाइस के अपक्षय से निर्मित होती है?
(a) काली
(b) लाल
(c) पीली
(d) मखरला (लैटेराइट)
Ans- d [IAS (Pre) Opt. Geog. 2003]
(38) लैटेराइट मिट्टियों के बनने में निम्नलिखित प्रकार के प्रदेशों में से कौन-सा सहायक है?
(a) उच्च वर्षा एवं उच्च तापमान प्रदेश
(b) विरल वर्षा और उच्च तापमान प्रदेश
(c) गहन कृषि प्रदेश
(d) अतिचारण प्रदेश
Ans- a [IAS (Pre) Opt. Geog. 2010]
(39) लैटेराइट उत्पादित होती है-
(a) जल-अपघटन तथा ऑक्सीकरण द्वारा
(b) जलयोजन तथा कार्बोनेटीकरण द्वारा
(c) निक्षालन तथा ऑक्सीकरण द्वारा
(d) जलयोजन तथा कैल्सीकरण द्वारा
Ans- c [IAS (Pre) Opt. Geog. 2003]
(40) लैटेराइट मिट्टी महत्वपूर्ण रूप से पाई जाती है-
(a) मालाबार तटीय क्षेत्र में
(b) कोरोमंडल तटीय क्षेत्र में
(c) बुंदेलखंड में
(d) बघेलखंड में
Ans- a [MPPSC (Pre) 2009, UPPCS (Pre.) 2000]
(41) मखरैला (लैटेराइट) मिट्टी का विकास, किसका परिणाम होता है?
(a) जलोढ़ (अलूवियल) के निक्षेप
(b) लोएस के निक्षेप
(c) निथरन (लीचिंग)
(d) लगातार वनस्पति आवरण
Ans- c [SSC CGL 2000]
(42) ऊंचे क्षेत्रों में लैटेराइट मृदा की रचना होती है-
(a) क्षारीय
(b) लवणीय
(c) अम्लीय
(d) संतुलित
Ans-c [SSC मैट्रिक स्तरीय 2008]
(43) _________________ मिट्टी की ऊपरी परत में स्थित रसायनों का पानी में धुले होने के कारण, मिट्टी की निचली परतों में या भूजल में होने वाला संचालन है|
(a) घुसपैठ
(b) नमकीनीकरण
(c) यूट्रोफिकेशन
(d) लीचिंग
Ans- d [SSC CHSL 2016]
(44) भारत के पूर्वी और पश्चिमी तटों में पाई जाने वाली मिट्टी _____________ है|
(a) लाल चट्टानी
(b) लेटराइट
(c) काली कपासी
(d) कछार
Ans- b [SSC CHSL 2016]
(45) निम्न में से किन राज्यों में आपको गुलाबी (लेटराइट) मिट्टी मिल सकती है?
(a) पश्चिम बंगाल और आंध्र प्रदेश
(b) गुजरात और मध्य प्रदेश
(c) कर्नाटक
(d) हिमाचल प्रदेश और उत्तरांचल
Ans- a [SSC CPO 2016]
(46) निम्नलिखित में से किस राज्य में लैटेराइट मिट्टी पाई जाती है?
(a) हरियाणा और पंजाब
(b) गुजरात और राजस्थान
(c) जम्मू-कश्मीर और हिमाचल प्रदेश
(d) कर्नाटक और तमिलनाडु
Ans- d [SSC मैट्रिक स्तरीय परीक्षा, 2002]
(47) निम्नलिखित में से किस राज्य में लैटेराइट मिट्टी पाई जाती है?
(a) केरल
(b) उत्तर प्रदेश
(c) राजस्थान
(d) महाराष्ट्र
Ans- a & d [SSC CPO 2015, UP UDA/LDA (Pre) 2006]
(48) लैटेराइट मिट्टी कहां पाई जाती है?
(a) भारी वर्षा वाले प्रदेश में
(b) मरुस्थल में
(c) उष्णकटिबंधीय प्रदेश में
(d) आर्द्र तथा शुष्क जलवायु वाले उष्णकटिबंधीय क्षेत्र में
Ans- d [SSC FCI 2012]
(49) भारत में निम्नलिखित में से कौन मृदा समूह लोहे का अतिरेक होने के कारण अनुर्वर होता जा रहा है-
(a) मरुस्थलीय बालू
(b) जलोढ़क
(c) पॉडजोलिक
(d) लैटेराइट
Ans- d [Jharkhand PSC (Pre) 2008, 2006, IAS (Pre) 1994]
(50) वह मिट्टी, जो वर्षा के कारण गहन निक्षालन की ओर प्रवृत्त है, क्या कहलाती है?
(a) लाल
(b) लेटेराइट
(c) काली
(d) जलोढ़
Ans- b [SSC CHSL 2013]

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