आज हम भारत की प्राचीन सभ्यताएँ( Bharat ki Prachin Sabhyatae ) पढेंगे |
विश्व में प्राचीनतम सभ्यताएं –
- मेसोपोटामिया – दजला फरात नदी के किनारे
- मिश्र – नील नदी के किनारे
- सिन्धु – सिन्धु नदी
- चीन – हांग हो नदी
सिंधु घाटी सभ्यता (3500 ई. पू. – 1750 ई. पू.):
- यह एक काँस्य युगीन सभ्यता थी, जिसे सर्वप्रथम एक अंग्रेज़ चार्ल्स मेसन ने 1826 ई. में हड़प्पा नामक स्थान पर एक पुरास्थल के रूप में पहचाना। इसे हड़प्पा सभ्यता भी कहा जाता है। यह सभ्यता सिन्धु नदी घाटी क्षेत्र में पनपी।
- सिंधु घाटी सभ्यता की खोज का श्रेय रायबहादुर दयाराम साहनी को दिया जाता है, जिन्होंने पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के महानिदेशक ‘सर जॉन मार्शल’ के निर्देशन में सन् 1921 में इस स्थल का उत्खनन कराया। सिंधु सभ्यता के निर्माता द्रविड़ थे। भारत में इसे प्रथम नगरीय क्रान्ति (सभ्यता) भी कहा जाता है, क्योंकि हमें इस सभ्यता के लगभग आठ शामिल हैं
1. हड़प्पा, 2. मोहनजोदड़ो, 3. चन्हुदड़ो, 4. कालीबंगा, 5. बनवाली, 6. धोलावीरा, 7. सूरकोटड़ा, 8. लोथल .
- सभ्यता के सर्वाधिक स्थल – गुजरात में।
- सभ्यता की नवीनतम खोज – (शहर) – धोलावीरा (गुजरात)
- सभ्यता की खोजा गया नवीनतम स्थल – बालाथल (उदयपुर)
- सभ्यता का विस्तार क्षेत्र – पश्चिम में कोंगेडोर (बलूचिस्तान-पाकिस्तान) से, पूर्व में आलमगीरपुर (उत्तर प्रदेश तक और उत्तर में मोड़ा (कश्मीर) से दक्षिण में दायमाबाद (महाराष्ट्र) तक लगभग 13 लाख वर्ग किमी क्षेत्र।
सिन्धु घाटी सभ्यता की विशेषताएँ: —
1. एक नगरीय या शहरी सभ्यता
2. सुनियोजित नगर नियोजन प्रमुख विशेषता थी।
3. वृहद् अन्नागार- ये सिन्धु घाटी सभ्यता में सार्वजनिक वितरण प्रणाली की उपस्थिति को दर्शाते हैं।
4. सार्वजनिक स्नानागार- यह मोहनजोदड़ो में मिला है। यह 54 मीटर लम्बा एवं 32 मीटर चौड़ा था, जिसमें 12x7x3 मीटर का कुण्ड बना हुआ था। स्नानागार का फर्श पक्की ईंटों का बना हुआ था।
5. सिंधु समाज मातृसत्तात्मक था।
6. सिंधुवासियों की लिपि भाव चित्रात्मक लिपि थी। इस लिपि की लिखावट क्रमश: दाई ओर से बाई ओर तथा बाई ओर से दाई ओर लिखी जाती है। बी.बी. लाल ने इसे ‘बुस्ट्रोफेदम’ नाम दिया है।
7. सिंधुवासियों को लोहे की जानकारी नहीं थी।
8. सिंधुवासी मृतक के पैर दक्षिण दिशा में रखकर गाढ़ते थे।
9. कषि-गेहँ व जौ मुख्य खाद्यान्न। लोथल से धान और बाजरे की खेती के साक्ष्य प्राप्त ।
10. कालीबंगा से जुते हुए खेत के सबसे प्रारम्भिक प्रमाण (अब तक ज्ञात सबसे प्राचीन) पाप्त।
11. पशुपालन – कूबड़ वाला बैल पूज्य। सिन्धुवासी घोड़े व गाय से अपरिचित थे।
12. कला–
- मद भाण्ड -यहाँ बहुसंख्यक गुलाबी रंग के मृद भाण्ड प्राप्त हुए हैं, जिन पर लाल व काले रंग से चित्र बने हुए हैं।
- मातृ देवी की अनेक मूर्तियाँ मिली हैं।
- सील-अधिकांशत: सेलखड़ी (स्टेटाइड) की बनी हुई मूलतः वर्गाकार सीलें या मोहरें प्राप्त हुई हैं। सबसे प्रसिद्ध सील पशपति (योगी) की सील है। एक सींग वाले व कूबड़ वाले बैल की सीलें भी प्राप्त हुई हैं।
- मोहनजोदड़ो से 12 सेन्टीमीटर लम्बी एक कॉस्य मूर्ति प्राप्त हुई है, जिसमें जूड़ा बाँधे एक युवती नत्य मद्रा में दिखाई गई है।
सिंधु सभ्यता के प्रमुख स्थल :
1. हड़प्पा :-

- स्थान – पंजाब प्रान्त (पाकिस्तान)
- दयाराम साहनी ने इसकी खोज 1921 में की। यह पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के मोंटगोमरी जिले में रावी नदी के तट पर स्थित है।
- यह स्थल 2 भागों में विभाजित था –
- {a}पूर्वी टीला – इसे नगर टीला कहते है |
- {b}पश्चिमी टीला -इसे दुर्ग टीला कहते है,तथा मार्टिन व्हीलर ने इसे माउन्ट AB कहा
- इस नगर की सडकें एक दुसरे को 90 डिग्री पर काटती थी |
- हड़प्पा का उल्लेख ऋग्वेद में भी मिलता है , इसे हरयुपिया कहा जाता था |
2. मोहनजोदड़ो:-

- राखलदास बनर्जी ने इसकी खोज 1922 में की। यह पाकिस्तान के सिंध प्रांत के लरकाना जिले में सिन्धु नदी के तट पर स्थित है।
- शाब्दिक अर्थ – मृतकों का टीला मोहनजोदड़ो की सबसे बड़ी ईमारत – अन्नागार
- सबसे बड़ा सार्वजनिक स्थल – स्नानागार
- इन विशाल स्नानागार को जॉन मार्शल ने तत्कालीन विश्व का आश्चर्यजनक निर्माण कहा |
- यहां से कांसे की नृत्यरत नारी की प्रतिमा प्राप्त हुई |
- इसके साथ ही दाढ़ी मुंछ वाले मानव की पाषाण प्रतिमा प्राप्त हुई , इसे मंगोलियन पुजारी की मान्यता दी गई है |
3. कालीबंगा :-

- इसकी खोज-1961 ई. में बी.बी. लाल एवं बी.के.थापर ने की। यह राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले में घग्गर नदी के तट पर स्थित है। यहाँ विश्व में जुते हुए खेत के सबसे प्रारंभिक साक्ष्य मिले हैं।
- शाब्दिक अर्थ – काले रंग की चुडियां
- इस सभ्यता को दीन हीन बस्ती कहा जाता है |
- दशरथ शर्मा ने इसे सैन्धव सभ्यता की तीसरी राजधानी कहा |
- अवशेष – अलंकृत ईंट , अलंकृत फर्श , खोपड़ी की शल्य चिकित्सा , भूकम्प के साक्ष्य , बेलनाकार मोहरें , हवनकुण्ड , लकड़ी से निर्मित नालियां
4. लोथल :-

- इसकी खोज-1957 ई. में एस.आर.राव ने की। यह अहमदाबाद (गुजरात) में भोगवा नदी के तट पर स्थित है। यहाँ एक गोदीबाड़ा (Dock-yard) के अवशेष प्राप्त हुआ है।
- यहाँ से चावल व बाजरे के प्रथम साक्ष्य प्राप्त हुए है |
5 . बनवाली :-

- इसकी खोज 1973 में R.S. बिष्ट ने की | यह हरियाणा में घग्घर नदी के किनारे स्थित है |
6 . सुरकोटड़ा :-
- इसकी खोज 1964 में जगपति जोशी ने की थी |
- यह कच्छ का रन , गुजरात में स्थित है |
- यहां से घोड़े की अस्थी के अवशेष मिले है |
7 . रोपड़ :-
- इसकी खोज 1950 में B.B. लाल व उत्खनन 1956 में यगदत्त शर्मा ने किया था |
- यह स्वतंत्र भारत में प्रथम उत्खनित क्षेत्र है |
- यहां से मानव के साथ कुत्ते के शवाधान के साक्ष्य मिले है |
अन्य स्थल :–
- सुत्कोंगेडोर (ब्लूचिस्तान-पाकिस्तान)
- चन्हूदड़ो (सिंधु प्रांत-पाकिस्तान)
- रंगपुर (गुजरात)
- रोपड़ (पंजाब)
- बनावली (हरियाणा)
- धोलावीरा (गुजरात)
- राखीगढ़ी (हरियाणा)