
इस पोस्ट में ज्येष्ठ मास के मेले और त्यौहार को विस्तार से पढेंगे |
हिन्दू कैलेंडर के अनुसार ज्येष्ठ वर्ष का तीसरा महीना होता है।अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार यह मई-जून महीने में आता है।
ज्येष्ठ माह में आने वाले त्यौहार
कृष्ण पक्ष | शुक्ल पक्ष |
प्रतिपदा – नारद जयंती | दशमी – गंगा दशहरा इस दिन मां गंगा का अवतरण पृथ्वी पर हुआ था। |
एकादशी – अपरा एकादशी | एकादशी – निर्जला एकादशी ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी को निर्जला एकादशी का व्रत किया जाता है। इस व्रत मे पानी का पीना वर्जित है इसिलिये इस निर्जला एकादशी कहते है। |
अमावस्या – वट सावित्री व्रत इस दिन विवाहित स्त्रियां अपने पति की लम्बी आयु व सौभाग्य में वृद्धि की कामना से वट या बरगद के पेड़ की पूजा करती है। यह व्रत सत्यवान सावित्री की पौराणिक कथा से जुड़ा हुआ है।यह पतिव्रत के संस्कारों को आत्मसात करने वाला व्रत है। | पूर्णिमा – वट पूर्णिमा |
अमावस्या – शनि जयंती ज्येष्ठ मास की अमावस्या के दिन सूर्य पुत्र शनिदेव का जन्म हुआ था, इसलिए प्रतिवर्ष इस दिन शनि जंयती मनाई जाती है। |
राजस्थान में ज्येष्ठ मास में आने वाले मेले
मेला | स्थान | तिथि |
सीता माता मेला | सीता माता, प्रतापगढ़ | ज्येष्ठ अमावस्या |
सीता बाड़ी का मेला | केलवाड़ा, बारां | ज्येष्ठ अमावस्या |
गंगा दशमी मेला | कामां, भरतपुर | ज्येष्ठ शुक्ल सप्तमी से बारस तक |