Rajsthan ke bhautik pradesh in Hindi

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हेलो दोस्तों। आज की इस पोस्ट में राजस्थान के भौतिक प्रदेश को बहुत ही अच्छे से और विस्तार से समझाया गया है। Rajasthan ke bhautik Pradesh in Hindi, raj gk, राजस्थान के भौतिक प्रदेश पोस्ट Rajasthan GK की दृष्टि से बहुत ही महत्वपूर्ण है जो की  BSTC, RAJ. POLICE, PATWARI. REET , SI, HIGH COURT, पटवारी राजस्थान पुलिस और rpsc में पूछा जाता है।

राजस्थान के भौतिक प्रदेश

**राजस्थान के भौतिक प्रदेश:-  

प्रो. ए.के. तिवारी एवं डॉ.एच.एम. सक्सेना ने राजस्थान का प्रादेशिक भूगोल’ में राजस्थान के धरातल, जलवायु, नदी-बेसिन आदि को आधार मानकर उन्हें प्रशासनिक सीमाओं के साथ समन्वित कर राजस्थान के प्रमुख गौण, तृतीयक एवं सूक्ष्म प्रदेशों के रूप में चार स्तरीय प्रदेशों का निर्धारण किया है।

संरचात्मक दृष्टि से राजस्थान का भौतिक स्वरूप उत्तरी वृहत मैदान तथा प्रायद्वीपीय पठार का हिस्सा है।

राजस्थान को चार भौतिक भागों में विभाजित किया गया है-

Rajasthan Ke Bhotik Pradesh

1. उत्तर-पश्चिमी मरूस्थलीय प्रदेश (61.11%)

2. मध्य अरावली प्रदेश (9%)

3. पूर्वी मैदान प्रदेश (23%)

4. दक्षिण-पूर्वी पठारी प्रदेश (6.89%)

1.उत्तर-पश्चिमी मरुस्थलीय प्रदेश

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उत्तर-पश्चिमी मरूस्थलीय प्रदेश राज्य के लगभग 61.11 प्रतिशत क्षेत्र में फैला हुआ है।

उत्तर-पश्चिमी मरूस्थलीय प्रदेश में राज्य की 40 प्रतिशत जनसंख्या निवास करती है।

पहले राजस्थान में उत्तर-पश्चिमी मरूस्थलीय प्रदेश 58 प्रतिशत ही था, परंतु अरावली पर्वतमाला अत्यधिक कटी-फटी होने के कारण थार के मरूस्थल का विस्तार लगातार पश्चिम से पूर्व की ओर हो रहा है।

उत्तर-पश्चिमी मरूस्थलीय प्रदेश में राज्य के  12 जिलों में विस्तारित है।

श्रीगंगानगर

 जोधपुर

 बीकानेर

 नागौर

जैसलमेर

 सीकर

बाड़मेर

झुंझुनूं

जालौर

चूरू

पाली 

हनुमानगढ़

उत्तर-पश्चिमी मरूस्थलीय प्रदेश राज्य के चार संभागों बीकानेर, जयपुर, अजमेर व जोधपुर में फैला हुआ है।

उत्तर-पश्चिमी मरूस्थलीय प्रदेश की जलवायु शुष्क व अत्यधिक विषम है।

उत्तर-पश्चिमी मरूस्थलीय प्रदेश में 20 से 50 सेमी. तक वर्षा होती है।

उत्तर-पश्चिमी मरूस्थलीय प्रदेश का गर्मियों में उच्चतम तापमान 49 डिग्री से. तथा सर्दियों में निम्नतम तापमान -3 डिग्री से. तक रहता है।

थार के मरूस्थल का औसत वार्षिक तापमान 22 डिग्री से. है।

उत्तर-पश्चिमी मरूस्थलीय प्रदेश में रेतीली बलुई मिट्टी पाई जाती है।

रेतीली बलुई मिट्टी राज्य के सर्वाधिक क्षेत्र में पाई जाती है।

उत्तर-पश्चिमी मरूस्थलीय प्रदेश की प्रमुख फसल ग्वार, बाजरा व मोठ है।

मरूस्थलीय प्रदेश की प्रमुख वनस्पति मरुद्भिद प्रकार की है।

कांटेदार मरूस्थलीय पौधे ‘जीरोफाइट्स’ कहलाते है।

उत्तर-पश्चिमी मरूस्थलीय प्रदेश के प्रमुख अभयारण्य मरू उद्यान राज्य का क्षेत्रफल में सबसे बड़ा अभयारण्य है।

यह 3162 वर्ग किमी. क्षेत्र में फैला हुआ है।

उत्तर-पश्चिमी मरूस्थलीय प्रदेश से राज्य का सबसे लम्बा राष्ट्रीय राजमार्ग एन.एच.-15/62 गुजरता है।

जिसकी लम्बाई 875 किमी है।

उत्तर-पश्चिमी मरूस्थलीय प्रदेश में बहने वाली प्रमुख नदियां घग्घर व लूणी है।

उत्तर-पश्चिमी मरूस्थलीय प्रदेश राज्य में सर्वाधिक जनसंख्या घनत्व (103) वाला मरूस्थल है।

उत्तर-पश्चिमी मरूस्थलीय प्रदेश को दो भागों में विभाजित किया गया है तथा इसे दो भागों में विभाजित करने वाली रेखा 25 सेमी. समवर्षा रेखा है –

1. पश्चिमी विशाल मरूस्थल/रेतीला शुष्क मैदान- 

25 सेमी. वर्षा रेखा के पश्चिम में स्थित क्षेत्र।

2. राजस्थान बांगर/बांगड़ या अर्द्धशुष्क मैदान- 

पूर्व में 50 सेमी. व पश्चिम में 25 सेमी. वर्षा रेखा द्वारा सीमांकित किया गया क्षेत्र।

पश्चिमी विशाल मरूस्थल/रेतीला शुष्क मैदान 

• रेतीले शुष्क मैदान के दो उपविभाग है

(अ) बालूकास्तूप युक्त मरूस्थलीय प्रदेश (58.5)

(ब) बालूकास्तूप मुक्त/रहित क्षेत्र  (41.5%)

बालूकास्तूप युक्त मरूस्थलीय प्रदेश 

इस क्षेत्र में बालू रेत के विशाल टीले पाये जाते है।

जो तेज हवाओं के साथ अपना स्थान बदलते रहते है।

बरखान एवं बरखानोइड्स-  बरखान बालुकास्तूप अर्द्ध-चन्द्राकार होते हैं जो पवन के अपरदन, परिवहन एवं निक्षेपण कार्य का अनूठा समन्वय प्रस्तुत करते हैं।

* बरखान बालुकास्तूप अधिकतर 20 सेन्टीमीटर (200 मि.मी.) की समवर्षा रेखा के पश्चिम में पाये जाते हैं।

पोकरण-जैसलमेर रामगढ़ के पथरीले स्थलाकृतिक क्षेत्र बरखान प्रवाह के लिए आदर्श सतह प्रदान करते हैं तथा वनस्पति-विहीन होते हैं।

वायु द्वारा लाई गई समस्त बालू का भार शीर्ष के छोर पर वायु की मन्द गति पड़ने के कारण छोड़ दिया जाता है तथा इसकी दोनों भुजाओं के बीच वायु की रगड से गर्त बन जाता है जिसे स्थानीय भाषा में ढांढ या थली

कहते हैं। सर्वाधिक मरूस्थल मार्च या रेगिस्तान का विस्तार बरखान बालुका स्तूप द्वारा होता है।

अनुप्रस्थ बालुकास्तूप-  जब दीर्घकाल तक हवा एक ही दिशा में चलती है तब पवन की दिशा के समकोण पर इस प्रकार के बालुकास्तूप बनते हैं।

* ये थार मरुस्थल के पूर्वी तथा उत्तरी भागों में भारत.पाक सीमा के क्षेत्र के बीकानेर जिले के पुंगल के चारों ओर, हनुमानगढ़ जिले में रावतसर, श्रीगंगानगर में सूरतगढ़, चूरू, झुन्झुनू जिलों में पाये जाते हैं।

पवनानुवर्ती या रेखीय बालुकास्तूप-  रेखीय लम्बवत् बालुकास्तूपों के सोर महोदय, 1989 ने तीन प्रकार बताये हैं-

1. सीफ

2. वनस्पति युक्त रेखीय

3. पवनविमुख रेखीय।

* इन बालुकास्तूपों पर वनस्पति आवश्यक रूप से दिखाई देती है।

ये बालूका स्तूप लम्बवत् समानान्तर श्रेणीयों के समान दिखाई देते हैं।

* इनका विस्तार जैसलमेर के दक्षिण-पश्चिम, रामगढ़ के दक्षिण-पश्चिम, जोधपुर एवं बाड़मेर जिलों में पाया

जाता है।

पेराबोलिक बालूकास्तूप / जुड़ा बालुका स्तूप 

थारमरूस्थल में अधिकांश बालूकास्तूप इसी प्रकार के है इनका निर्माण वनस्पति एवं समतल मैदानी भाग के बीच उत्पाटन से होता है।

इनकी आकृति महिलाओं के हेयरपिन की तरह होती है।

तारा बालूकास्तूप

इनका निर्माण संशलिष्ट और अनियतवाही पवनों के क्षेत्र में ही प्रमुखतः होता है।

(लंकाश्टर, 1987 एवं फ्राइबरजर, 1979 ) इनका निर्माण प्रमुखतः (1) मोहनगढ़ क्षेत्र के जैसलमेर पोकरण भाग में और (2) सूरतगढ़ क्षेत्र में मरुस्थल के उत्तरी पार्श्व . पर पाया जाता है। (भूगोल व्याख्याता परीक्षा – 2016) अवरोधी बालूका स्तूप- किसी भी अवरोध के कारण बालू के जमाव से बने बालूका स्तूप ही अवरोधी बालुकास्तूप कहलाते है।

* छोटी झाड़ी, मृत पशु कंकाल, पेड़, भवन, आवास, अधिवास आदि के सहारे नाभि केन्द्र निर्मित होकर शनैःशनैः इन टीलों का निर्माण हो जाता है।

पुष्कर, बूढ़ा पुष्कर, नाग पहाड़, बिचून पहाड़, जोबनेर पहाड़, सीकर की हर्ष पहाड़ियाँ, कुचामन की पहाड़ियाँ इसी प्रकार के अवरोधी टीलों को जन्म देती हैं।

इन्हें अवशिष्ट अवरोधी जीवावशेष युक्त बालुका स्तूप भी कहते है।

स्क्रव कापीस बालुकास्तूप- छोटी-छोटी झाड़ियों घास के झण्ड आदि के आसपास वायु के पवनानुवर्ती पर पवनविमुखी ढालों पर बालू क जमने एवं उन्ह दबा लेने से जो इधर-उधर अनियमित बालूकास्तूप बनते हैं।

उन्हें स्क्रव कापीस बालुकास्तूप कहते हैं।

पश्चिमी मरुस्थली प्रदेश में इस प्रकार के बालूकास्तूप सभी स्थानों पर देखने को मिलते हैं।

नेटवर्क बालूकास्तूप- ये उत्तर-पूर्वी मरूस्थलीय भाग हनुमानगढ़ से हिसार, भिवानी (हरियाणा) तक मिलते है। लिटिल रन- कच्छ की खाड़ी के क्षेत्र का मैदान।

लघु मरूस्थल- थार का पूर्वी भाग जो कच्छ से बीकानेर तक विस्तृत है।

यहा की औसत वर्षा 25 सेमी. है।

महान मरूस्थल- श्री गंगानगर से बाड़मेर तक सीमा रेखा से लगा हुआ भाग।

रेगिस्तान मार्च- रेगिस्तान का धीरे-धीरे आगे खीसकना।

रेगिस्तान मार्च के लिए जैसलमेर का नाचना गांव प्रसिद्ध है।

मार्च से जलाई- बालुकास्तूपों में अपरदन और स्थानांतरण इस अवधि के दौरान सर्वाधिक होता है।

जोधपुर- यहां सभी प्रकार के बालूकास्तूप पाये जाते है।

आगोर- प्राचीन काल में मरूस्थलीय प्रदेश के घरों में उपयोग लेने हेतु जल के टांके बनाए जाते थे, जिन्हें स्थानीय भाषा में आगोर कहते है।

बजादा- मरूस्थल में स्थित पर्वतीय क्षेत्र के नीचे निम्न भूमि वाले क्षेत्र को जहां पर्वतीय जल आकर समाप्त हो जाता है।

इन्सेल बर्ग- रेगिस्तान क्षेत्र में ढ़ालनुमा पाई जाने वाली खड़ी/ सीधी चट्टानों की आकृति को हम जर्मन भाषा में इन्सेल बर्ग तथा स्थानीय भाषा में पर्वत कहते है।

* इनके चारों ओर पानी होता है, राजस्थान में इन्सेल बर्ग के उदाहरण है- सांभर झील, नक्की झील।

* यह सम्पूर्ण प्रदेश अरावली से दक्षिण-पश्चिम की तरफ ढाल वाला प्रदेश है, जिसमें कहीं-कहीं प्राचीन चट्टानो की पहाड़ियाँ दिखाई दे जाती हैं।

अधिकांश पहाड़िया ‘बोर्नहार्ट’ या ‘इन्सलबर्ग’ के रूप में देखी जाती हैं।

बालुका स्तूपों का स्थानान्तरण

अतः बालुका स्तूपा के स्थानान्तरण एवं बालू के प्रवाह की रोकथाम के लिए वृक्षारोपण, शेल्टर बेल्ट वृक्षारोपण, ट्रेन्च वृक्षारोपण, बॉक्स वृक्षारोपण, समोच्यरेखा वृक्षारोपण आदि तथा मानव क्रियाओं का इन अस्थिर बाल क्षेत्रों में सीमितता, अति पशु चारण पर प्रतिबन्ध आदि कार्य सुनिश्चित किया जाने चाहिए।

गिरीपद/पेड़ीमेंट- रेगिस्तानी प्रदेश में पाये जाने वाले पर्वत के नीचे वाला स्थान जहां मरूस्थल की रेत/बालू रेत आकर इकट्ठी हो जाती है, यह गिरीपद/पेड़ीमेंट कहलाता है।

नेहड़- नेहड़ को सामान्य भाषा में जल का समुद्र कहते हैं।

* सौ साल पहले राजस्थान के बाड़मेर व जालौर जिले में समुद्र का जल लहराता था।

जैसलमेर जिले की सम उपतहसील के चांदन गांव में एक नलकूप खोदा गया।

इस कारण चांदन गांव के नलकूप को चंदन नलकूप/ थार का घड़ा के उपनाम से भी जाना जाता है।

चांदन का वास्तविक नाम चौहान है।

मावठ/महावट/शीतकालीन वर्षा- पश्चिमी विक्षोभों (भूमध्यसागरीय चक्रवात) से होने वाली वर्षा।

* यह वर्षा रबी की फसल के लिए लाभदायक होती है।

* राजस्थान में इसे गोल्डनड्रोप्स या सोने की बूंदों के नाम से भी जाना जाता है।

भभूल्या/भतूल्या- गमियों में तेज हवा के चलने से मिट्टी उड़ने से बनने वाले चक्रवातों को स्थानीय भाषा में भभूल्या/भतूल्या कहते है।

जिनमें हवाएं गोल घेरे के रूप में घूमती है, जिसके कारण आकाश में धूल उड़ती रहती है, इसके केन्द्र में निम्न वायुदाब होता है और यह चक्रवात का अत्यंत सूक्ष्म रूप होता है।

यह ग्रीष्म ऋतु में दोपहर के समय पैदा होते है।

पीवणा- यह मरूस्थलीय क्षेत्र में पाया जाने वाला जहरीला सर्प है।

जो डंक नहीं मारता बल्कि रात्रि को सोते हुए व्यक्ति के श्वास को पीकर मार देता है।

बाप बोल्डर्स कार्बोनिफेरस युग से संबंधित है।

राजस्थान में निम्नलिखित परम्परागत जल संरक्षण की विधियाँ सदियों से प्रचलित हैं

नाड़ी 

यह एक प्रकार का पोखर होता है जिसमें वर्षा का जल संचित होता है।

पश्चिमी राजस्थान में सामान्यतः प्रत्येक गाँव में पोखर का निर्माण किया जाता है, जिसमें वर्षा का जल संचित कर लिया जाता है।

टोबा

यह भी नाड़ी के समान किन्तु अधिक गहरा होता है तथा पश्चिमी राजस्थान में पारम्परिक जल स्रोत के रूप में प्रचलित है।

इसके जल का उपयोग पेय जल, पशुओं के लिये तथा सीमित सिंचाई के लिये किया जाता है।

बावड़ी

राजस्थान में बावड़ियों के निर्माण की परम्परा रही है।

यह एक सीढ़ीदार वृहत् कुआ होता है।

इसमें वर्षा के जल के अतिरिक्त भूमिगत जल का स्रोत भी होता है।

खड़ीन

खड़ीन जल संरक्षण की परम्परागत विधि है जो तकनीकी दृष्टि से भी उत्तम है।

जैसलमेर में इनका निर्माण पन्द्रहवीं सदी में प्रारम्भ हुआ था और आज भी इस क्षेत्र में लगभग 500 खड़ीन है खड़ीन मिट्टी का बाँधनुमा अस्थाई तालाब होता है जिसे ढाल वाली भूमि के नीचे बनाया जाता है तथा दो तरफ पाल उठाकर तथा तीसरी ओर पत्थर की दीवार बनाई जाती है।

टांका या कुंडी

यह भी वर्षा के जल को संग्रह करने का साधन है जिसका प्रचलन मरुस्थली क्षेत्रों में है।

टांका या कुंडी या कुंड का निर्माण पेय जल हेतु किया जाता है।

कुंई

पश्चिमी राजस्थान में कुंई बनाने की परम्परा है, उन्हें “बेरी’ भी कहते हैं।

इनका निर्माण तालाब के पास किया जाता है जिससे उनके रिसाव का पानी इसमें आता है।

यह 10 से 12 मीटर तक गहरी होती है तथा सुरक्षा के लिये ढका जाता है।

बीकानेर, जैसलमेर जिलों में कुंई का प्रचलन अधिक है।

बालूकास्तूप मुक्त/रहित क्षेत्र

• रेतीले शुष्क मैदान के पूर्वी भाग में बालूकास्तूप मुक्त प्रदेश है।

जिसमें बालूकास्तूपों का अभाव है।

* इन क्षेत्रों को जैसलमेर, बाड़मेर का चट्टानी प्रदेश भी कहते है।

यह सारा क्षेत्र परतदार चट्टानों से ढका है, जो टरसियरी काल से प्लीस्टोसीन काल की है।

इन चट्टानों में कई प्रकार के जुरासिक काल के वनस्पति अवशेष एवं जीवावशेष पाए जाते है।

जैसलमेर का आकलवुड फोसिल्स पार्क इसी का उदाहरण है।

टरसियरी कालीन चट्टानों में तेल व गैस के भण्डार भी पाए जाते है।

बाड़मेर का गुढ़ामालानी व बायतु क्षेत्र तथा जैसलमेर क्षेत्र में तेल व गैस के विशाल भण्डारों का मिलना

टरसियरी कालीन चट्टानों का होना माना जाता है।

जैसलमेर में स्थित प्लाया झीलों के नम क्षेत्र को खड़ीन कहा जाता है।

कृत्रिम रूप से खड़ीन बनाने का कार्य जैसलमेर के पालीवाल ब्राह्मण करते है।

प्लाया झीलों को रन/टाट/मरहो भी कहा जाता है।

मुलायम लवण की परत युक्त प्लाया को सेलीनास कहते है।

तल्लीयों में वर्षा का जल भर जाने से बनी अस्थायी झीलों को प्लाया कहते है।

रन/टाट

बालूकास्तूप के बीच में अस्थाई झीलें, इन झीलों के प्रकार- कनोड़ झाकरी, बरमसर, पोकरण (जैसलमेर), थोब (बाड़मेर), बाप (जोधपुर), तालछापर (चूरू)।

मरुस्थलीय क्षेत्र में विशिष्ट लवणीय झीलों को डांड कहा जाता है।

बेरी

नाड़ी और खड़ीन के आस-पास रिसने वाले जल क पुन: उपयोग के लिए छोटे-छोटे कुएं बनाए जाते है। जिन्हें बेरी कहते है।

बालूकास्तपों की निम्न भूमि को तल्ली कहा जाता है।

बालूकास्तूपों पर लहरदार छोटी-छोटी परतों को उर्मिका कहा जाता है।

लम्बाई में स्थित बालूकास्तूपों को स्थानीय भाषा में डोल कहा जाता है।

झाड़ियों के पीछे निर्मित बालूकास्तूपों को नेरवा कहते है।

बालसन

मरूस्थल का वह भाग जो पर्वतों तथा चट्टानों से घिरा हुआ है और उसके मध्य में जल के इकट्ठे होने से बनी झील या बेसिन बालसन कहलाती है।

लाठी सीरीज क्षेत्र- पाकिस्तान की सीमा के सहारे जैसलमेर में मोहनगढ़ से पोकरण तक अवसादी चट्टानों का समूह पाया जाता है।

* 2007 में काजरी के वैज्ञानिक को यहां 80 मी. लंबी तथा 60 मी. चौड़ी पृथ्वी के अंदर बहती हुई जल धारा प्राप्त हुई, जिसे इन वैज्ञानिकों ने भूगर्भिक जलपट्टी/लाठी सीरीज का नाम दिया।

* लाठी सीरीज क्षेत्र में धामण, करड़ी, तरडगम, व सेवण – नामक स्वादिष्ट व पौष्टिक घास उत्पन्न होती है।

* सेवण घास को गोडावण की प्रजनन स्थली भी कहते है।

राजस्थान बांगर/बांगड़ या अर्द्धशुष्क मैदान

इस मैदान को चार उपविभागों में विभाजित किया गया है

(i) घग्घर मैदान

(ii) शेखावाटी प्रदेश

(iii) नागौरी उच्च भूमि.

(iv) लूनी बेसिन

घग्घर मैदान

घग्घर नदी का मैदान मुख्य रूप से श्रीगंगानगर व हनुमानगढ़ जिलों में पाया जाता है।

यह शिवालिक (हिमालय) से लाई गई जलोढ़ मिट्टी द्वारा निर्मित है।

घग्घर नदी के पाट को नाली तथा उत्तर-पूर्वी उपजाऊ मिट्टी के क्षेत्र को बग्गी कहा जाता है।

राजस्थान के दो शहर बालोत्तरा व हनुमानगढ़ जंक्शन ऐसे क्षेत्र है जहाँ पर नदी का पाट कुछ ऊपर-नीचे है।

* लूनी नदी में अधिक जल होने पर बालोतरा में बाढ़ आती है।

* घग्घर में अधिक जल आने पर हनुमानगढ़ जंक्शन में बाढ़ आती है।

* सर्वाधिक सेम की समस्या बड़ोपल (हनुमानगढ़)

शेखावटी प्रदेश 

बांगर प्रदेश/शेखावाटी क्षेत्र में जमीन के नीचे चने की एक विशाल परत पाया जाता है।

अत: वर्षा का पानी ऊपरी सतह पर न बहकर सतह कनाच चूने का परतों में बहता है।

अत: इस क्षेत्र को आंतरिक जल प्रवाही क्षेत्र भी कहते है।

शेखावटी क्षेत्र में पानी के कच्चे कुएं खौदे जाते है. जिन्हें स्थानीय भाषा में जोहड़ या नाड़ा कहते है।

ढूंढाड़ क्षेत्र में स्थानीय भाषा में कुंओं को बेरा कहते है।

बांगर प्रदेश में सर्वाधिक बालूका स्तूप पाये जाते है।

जिनके मध्य वर्षा का जल इकट्ठा हो जाता है. जिसे सर या सरोवर कहते है।

जैसे- सालिसर, मानसर. जसूसासर आदि इसके उदाहरण है।

वह क्षेत्र जहाँ नदियाँ प्राचीनकाल में बहती हो और वर्तमान में कोई नदी नहीं बहती है।

अतः पुरानी उपजाऊ मिट्टी धीरे-धीरे अनुपजाऊ मिट्टी बन जाए।

सामान्य भाषा में अनुपजाऊ इस मिट्टी के मैदान को बांगर (शेखावटी) कहते है।

वह क्षेत्र जहां नदियां प्रतिवर्ष बहती है और अपने साथ उपजाऊ मिट्टी बहाकर लाती है।

इसी उपजाऊ मिट्टी से बने मैदान को खादर कहते है।

शेखावटी क्षेत्र में पाये जाने वाले घास के मैदान को स्थानीय भाषा में बीड़ कहते है।

ढूंढाड़ क्षेत्र में इन घास के मैदानों को स्थानीय भाषा में बीड़ा कहते है।

नदियों के द्वारा मिट्टी के कटाव (अवनालिका अपरदन) से बड़े-बड़े खड्डे बन जाते है, जिन्हें स्थानीय भाषा में बीहड़ कहते है।

अरावली पर्वत श्रृंखला के पश्चिमी के अरावली से उत्तरती हुई उपजाऊ हरी पट्टीयों को रोही के नाम से जाना

जाता है।

नागौरी उच्च भूमि 

• लूनी, बेसिन एवं शेखावटी प्रदेश के मध्य स्थित नागौर जिले

की ऊंची उठी हुई भूमि को ‘नागौरी-उच्च भूमि’ कहते है।

इस प्रदेश की मिट्टी में सोडियम-क्लोराइड पाया जाता है।

इस प्रदेश की समुद्रतल से औसत ऊंचाई 300-500

मीटर है। सर्वाधिक खारे पानी की झीलें (सांभर, डीडवाना, कुचामन) इसी क्षेत्र में स्थित है।

जहाँ “केशकत्व पद्धति’ से नमक तैयार किया जाता है।

हहरा कबूतर मूलत: उत्तरप्रदेश में पाया जान वाला हरियल पक्षी है।

जो कभी जमीन पर नहीं बैठता है।

राजस्थान में हरे कबूतर नागौरी उच्च-भूमि तथा

सरिस्का अभयारण्य (अलवर) में पाए जाते है।

लूनी बेसिन

नागौर, पाली,जोधपुरतथा बाड़मेर, जालौर क्षेत्र इस बेसिन में शामिल है।

छप्पन की पहाड़ियाँ बाड़मेर इसी क्षेत्र के अंतर्गत आती है।

उच्चावच तथा शुष्कता की दृष्टि से मरुस्थलीय प्रदेश के चार उपविभाग है –

1. महान मरुस्थल- जो भारत-पाक सीमा के सहारे पूर्णतः बालूका स्तूपों से आच्छादित प्रदेश है।

2. चट्टानी प्रदेश- बाड़मेर-जैसलमेर-बीकानेर का चट्टानी प्रदेश।

3. लघु मरुस्थल- जो चट्टानी प्रदेश के पूर्व में कच्छ की खाड़ी से बीकानेर तक विस्तृत है।

4. अर्द्ध शुष्क प्रदेश- जो लूनी बेसिन और शेखावाटी को सम्मिलित करता है।

भू-गर्भशास्त्रियों के अनुसार इस प्रदेश में इयोसीन काल एंव प्लीस्टोसीन काल के प्रारम्भ तक बहुत विस्तृत समुद्र था, जिसके अवशेष विभिन्न चट्टानी समूहों में पाये जाते हैं।

उत्तर-पश्चिमी मरूस्थलीय प्रदेश लगभग 1,75,000 वर्ग किमी. क्षेत्र में फैला हुआ है।

उत्तर-पश्चिमी मरूस्थलीय प्रदेश की समुद्र से सामान्य ऊंचाई 200 से 300 मीटर है।

उत्तर-पश्चिमी मरूस्थलीय प्रदेश उत्तर-पश्चिम से दक्षिण-पूर्व की ओर 640 किमी. लम्बा तथा पश्चिम से पूर्व की ओर लगभग 300 किमी. चौड़ा है।

चीनी यात्री ह्वेनसांग ने मरू प्रदेश को ‘गुर्जरात्रा प्रदेश’ के नाम से पुकारा है।

डॉ. ईश्वरी प्रसाद ने राजस्थान के मरूस्थल को रूक्ष क्षेत्र कहा है।

उत्तर-पश्चिमी मरूस्थलीय प्रदेश का ढाल पूर्व से पश्चिम ।

तथा उत्तर से दक्षिण या उत्तर-पूर्व से दक्षिण-पश्चिम की ओर है।

उत्तर-पश्चिमी मरूस्थलीय प्रदेश को थार मरूस्थल थली या शष्क बालू का मैदान के नाम से भी जाना जाता है। उत्तर-पश्चिमी मरूस्थलीय प्रदेश ग्रेट पेलियो आर्कटिक अफ्रीका मरूस्थल का पूर्वी भाग है।

मरूस्थलीय प्रदेश को लीबिया तथा मिश्र में ‘सिटिर’ के नाम से जाना जाता है।

मरूस्थलीय प्रदेश के उत्तर-पूर्वी ऊंचे भाग को ‘थली’ तथा दक्षिण-पश्चिमी में स्थित नीचे भाग को ‘तली’ कहते है।

• बलुई मरूस्थल को अफ्रीका के सहारा में इर्ग तथा तुर्कीस्तान में कोडर्म कहा जाता है।

पाकिस्तान में थार मरूस्थल को चोलीस्तान कहा जाता है।

थार मरूस्थल विश्व का सबसे युवा मरूस्थल है।

उत्तर-पश्चिमी मरूस्थलीय प्रदेश विश्व का सर्वाधिक आबादी वाला मरूस्थल है।

उत्तर-पश्चिमी मरूस्थलीय प्रदेश में विश्व में सर्वाधिक जैव . विविधता पाई जाती है।

उत्तर-पश्चिमी मरूस्थलीय प्रदेश विश्व में सर्वाधिक जनसंख्या घनत्व वाला मरूस्थल है।

थार का मरूस्थल भारत के पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, गुजरात राज्यों में फैला हुआ है।

थार का मरूस्थल विश्व का एकमात्र ऐसा मरूस्थल है जिसके निर्माण में दक्षिण-पश्चिमी मानसूनी हवाओं का योगदान है।

उत्तर-पश्चिमी मरूस्थलीय प्रदेश को 50 सेमी. वर्षा रेखा अन्य भागों से अलग करती है तथा इस भू-भाग की पश्चिमी सीमा रेडक्लिफ रेखा बनाती है।

उत्तर-पश्चिमी मरूस्थलीय प्रदेश में पाई जाने वाली वनस्पति कैर, बैर, फोग, बबूल, खेजड़ा व सेवण घास है।

उत्तर-पश्चिमी मरूस्थलीय प्रदेश में बहने वाली प्रमुख नहर इन्दिरा गांधी नहर है।

**राजस्थान के प्रमुख अकाल :-

सूखे के कारण होने वाले अकाल को तीन भागों में विभाजित किया गया है-

1. अन्न अकाल

2. अन्न व चारे का अकाल

3. त्रिकाल

राज्य में जैसलमेर, बाड़मेर तथा जोधपुर जिले अकाल की स्थिति में सर्वाधिक प्रभावित होते है।

कर्नल जेम्स टॉड ने अकाल व सूखे की समस्या को प्राकृतिक रोग की संज्ञा दी है।

फायसागर व राजसमंद झील का निर्माण अकाल राहत कार्यों के तहत करवाया गया।

चालीसा का अकाल- 1783 ई. में पड़े अकाल को कहा गया है।

पंचकाल-

 1812-13 ई. में पड़े अकाल को कहा गया है।

सहसा मूदसा अकाल- 

1842-43 ई. में पड़े विनाशकारी अकाल को कहा गया है।

त्रिकाल- 

1868-69 ई. में पड़े अकाल को कहा गया है।

इसमें अन्न, जल व घास की कमी रही।

छपनिया अकाल- 

1899-1900 ई./विक्रम संवत 1956 में पड़े अकाल को कहा गया है।

खेजड़ी का वृक्ष इस अकाल में लोगों का सहारा बना।

वृहद् अकाल/मैक्रोड्रॉट-

 2002-03 ई. में पड़ा अकाल।

* यह 100 वर्षों में सबसे भीषण अकाल था।

तीजो कुरियो आठवों काल- राजस्थान में हर तीसरे साल एक छोटा अकाल व हर आठवें साल एक बड़ा अकाल पड़ता है।

अरावली प्रदेश 

मध्यवर्ती अरावली प्रदेश राजस्थान के 9 प्रतिशत क्षेत्र  पर विस्तृत  है।

मध्यवर्ती अरावली प्रदेश में राज्य के 10 प्रतिशत जनसंख्या निवास करती है।

मध्यवर्ती अरावली प्रदेश में शामिल जिले-

 सिरोही

 अजमेर

 उदयपुर

 अलवर

 डूंगरपुर

 जयपुर

 प्रतापगढ़,

 सीकर

 चितौड़गढ

  झुंझुनूं,

 भीलवाड़ा

  पाली 

 राजसमंद

मध्यवर्ती अरावली प्रदेश में उप आर्द्र जलवायु पाई जाती है।

मध्यवर्ती अरावली प्रदेश में वार्षिक वर्षा का औसत 50-90 सेमी. है।

मध्यवर्ती अरावली प्रदेश में पाई जाने वाली प्रमुख मिट्टी लाल, भूरी व कंकरीली है।

मध्यवर्ती अरावली प्रदेश की प्रमुख फसल मक्का है।

मध्यवर्ती अरावली प्रदेश के प्रमुख अभयारण्य में सीतामाता, कुंभलगढ़ व माउण्ट आबू अभयारण्य है।

अरावली प्रदेश के समानान्तर चलने वाला राष्ट्रीय राजमार्ग एन.एच. 8 है।

जो कि राज्य का सबसे व्यस्त राष्ट्रीय राजमार्ग है।

मध्यवर्ती अरावली प्रदेश में बहने वाली प्रमुख नदियांबनास अरावली के पूर्व में निकलने वाली नदियां अपना जल बंगाल की खाड़ी में तथा पश्चिम में निकलने वाली नदियां अपना जल अरब सागर में लेकर जाती है।

मध्यवर्ती अरावली प्रदेश में पाई जाने वाली प्रमुख वनस्पतिढाक, गुलर, आम, जामुन, शीशम, आंवला, नीम, हरड़।

अरावली पर्वत माला को प्राचीन काल में आड़ाहुल्ला, परिपत्र, एपोकॉपी, मॉडिस डेयोरम पेयोमा एपेलांटी के नाम से जाना जाता था।

 अरावली को अदावता (Ada vata) भी कहते है।

इसका 37ef 2 – A beam lying across अरावली पर्वतमाला विश्व की सबसे प्राचीनतम पर्वतमाला अरावली पर्वत श्रृंखला का शाब्दिक अर्थ है- चोटियों पंक्ति ।

अरावली पर्वतमाला एक अवशिष्ट पर्वतमाला है।

भूगर्भिक ऐतिहासिक दृष्टि से अरावली पर्वत माला पर काल के भूखण्ड गोडवाना लण्ड का अवशेष उत्पत्ति (निर्माण) 650 मिलियन वर्ष (65 करोड बा पर्व ‘प्री-कैम्ब्रेसियन कल्प (युग)’ में हई।

अरावली पर्वतमाला प्री-कैम्ब्रेसियन चट्टानों का परिवार रूप है।

प्री-कैम्ब्रेसियन चट्टानों का आधारभूत वर्णन ए ने 1923 में किया था।

राजस्थान में अरावली का विस्तार दक्षिण-पश्चिम से उत्तर-पूर्व की ओर है।

राज्य में अरावली का विस्तार दक्षिण-पश्चिम से उत्तर-पूर्व की ओर देखने पर घटता हुआ तथा उत्तर-पूर्व से दक्षिण-पश्चिम की ओर देखने पर बढ़ता हुआ दिखाई देता है।

अरावली पर्वतमाला राजस्थान को 50 सेमी. वर्षा रेखा के रूप में दो भागों में विभाजित करती है।

अरावली के उत्तर-पश्चिम में बरसात कम होती है।

जबकि दक्षिण-पूर्व में बरसात अधिक होती है।

अरावली पर्वतमाला ‘भारत की महान जल विभाजक रेखा’ कहलाती है।

राजस्थान में पश्चिमी मरूस्थल को पूर्व की ओर बढ़ने से अरावली पर्वतमाला ही रोकती है।

अरावली पर्वतमाला सिंधु तथा गंगा नदी तंत्र के बीच जल विभांजक का कार्य करती है।

अरावली पर्वतमाला ही बंगाल की खाड़ी से आने वाले मानसून को रोककर पूर्वी राजस्थान में वर्षा करती है।

अरावली पर्वतमाला दक्षिणी-पश्चिमी मानसून या अरबसागरीय मानसून के समानान्तर होने के कारण वर्षा के बादलों की रोकने में असक्षम होती है अतः ये मानसून बगैर वर्षा के ही आगे बढ़ जाते हैं।

अरावली व पठारी प्रदेश खनिजों की दृष्टि से राज्य के सबसे सम्पन्न प्रदेश है।

लाठी सीरीज क्षेत्र- अरावली क्षेत्र में एक भूगर्भीय खनिज पट्टी अरावली पर्वत के उत्तर-पश्चिम में 13 तथा दक्षिण-पूर्व में 20 जिले स्थित है।

अरावली प्रदेश की प्रमुख झील नक्की झील है। जो कि राज्य की सबसे ऊंची झील है।

अरावली प्रदेश में राज्य की सबसे मीठी व सबसे बड़ी कृत्रिम झील जयसमंद झील स्थित है।

**अरावली के प्रमुख दर्रे :-

जीलवा की नाल ( पगल्या)- राजसमंद में स्थित यह नाल मारवाड़ व मेवाड़ को जोड़ती है।

जीलवाड़ा की नाल/पगल्या की नाल- मेवाड़ के दक्षिणी भाग में स्थित यह दर्रा मेवाड़ से गुजरात जाने का रास्ता प्रदान करता है।

• बर दर्रा- पाली में स्थित इस दर्रे से एन.एच. 14 गुजरता है।

हाथीगुडा की नाल- पाली में स्थित यह नाल पाली और राजसमंद को जोड़ती है तथा यह देसुरी के उत्तर में स्थित है।

हाथी गुढ़ा की नाल- यह दर्रा एन.एच. पर 76 सिरोही को गोगुन्दा (उदयपुर) से जोड़ता है।

राजस्थान सामान्य ज्ञान सीरीज फुलवारी की नाल- उदयपुर में स्थित इस नाल से सोम, मानसी, वाकल नदियों का उद्गम होता है।

सोमेश्वर की नाल, केलवा की नाल, केवड़ा की नाल, देवारी की नाल- ये सभी नाल उदयपुर में स्थित है।

गोरमघाट एवं खामलीघाट दर्रा- यह दर्रा राजसमंद जिले में जोधपुर, उदयपुर रेलमार्ग पर स्थित है।

ये दर्रे मारवाड़ जंक्शन (पाली) को आमेर राजसमंद से जोड़ते है।

कचबाली की नाल, पीपली की नाल, उदाबरी की नाल, बार, परवेरिया, शिवपुर घाट, सुराघाट, देबारी- ये सभी अजमेर में स्थित है।

ऊदबारी दर्रा, पीपली दर्रा, कुचवारी दर्रा, सरूपाघाट दर्रा- ये समस्त दर्रे अजमेर को मसूदा से जोड़ते है।

शिवपुरा घाट दर्रा व सूरा घाट दर्रा- ये दर्रे अजमेर को मेवाड़ से जोड़ते है।

रामगढ़ दर्रा, चेतावास दर्रा, लाखेरी दर्रा, खट-खट दर्रा ये बूंदी में स्थित है।

सेंदड़ा स्टेशन के पास की चट्टानें सर्पाकार आकृति में पाई जाती है।

अरावली प्रदेश को निम्नांकित तीन प्रमुख उप-प्रदेशों में विभक्त किया जाता है

1. दक्षिणी अरावली प्रदेश

2. मध्य अरावली प्रदेश

3. उत्तरी अरावली प्रदेश

दक्षिणी अरावली प्रदेश 

दक्षिणी अरावली पर्वतमाला का प्रदेश अरावली पर्वतमाला का सबसे ऊँचा क्षेत्र है, जिसकी औसत ऊँचाई 1000 मीटर है।

इस क्षेत्र में इस क्षेत्र की ही नहीं अपितु पूरे राजस्थान की सबसे ऊँची चोटी ‘गुरू शिखर’ स्थित है जिसकी ऊँचाई 5,650 फीट या 1722 मीटर है।

इसी कारण इसे एक इन्सेलबर्ग/बैथालिक की संज्ञा दी जाती है।

 गुरूशिखर की ऊँचाई 1722 मीटर है परन्तु इस चोटी के ऊपर ‘दत्तात्रय ऋषि’ का 5 मीटर ऊँचा मंदिर बना हुआ है जिसे जोड़ने के बाद गुरूशिखर की ऊँचाई 1727 मीटर मानी जाती है।

गुरू शिखर के नीचे ही राजस्थान का एकमात्र पर्वतीय स्थल माउण्ट आबू स्थित है।

यहाँ की अन्य श्रेणियाँ

 सेर (1597 मीटर)

 अचलगढ़ (1380 मीटर)

 देलवाड़ा (1442 मीटर)

आबू (1295 मीटर) 

ऋषिकेश (1017 मीटर) 

उदयपुर- राजसमंद क्षेत्र में सर्वोच्च शिखर जरगा पर्वत है, जिसकी ऊँचाई 1431 मीटर है, यहाँ की अन्य श्रेणियाँ 

कुम्भलगढ़ (1224 मीटर)

 लीलागढ़ (874 मीटर)

नागपानी (867 मीटर)

कमलनाथ की पहाड़ी (1001 मीटर)

सज्जनगढ़ (938 मीटर)

जयसमंद झील के चारों ओर पहाड़ियाँ 820 मीटर तक ऊँचाई वाली हैं।

• आबू पर्वत क्षेत्र के पश्चिम में जसवन्तपुरा पर्वतीय क्षेत्र में मुख्यतया डोरा पर्वत (869 मीटर) है।

सिवाना पर्वतीय क्षेत्र में मुख्यतः गोलाकार पहाड़ियाँ हैं, इन्हें छप्पन की पहाड़ियाँ एवं नाकोड़ा पर्वत के नाम से जाना जाता है।

जवाई नदी घाटी के दक्षिण में जालोर पर्वत क्षेत्र के इसराना भाकर (839 मीटर), रोजा भाकर (730 मीटर) एवं झारोला पहाड़ (588 मीटर ) है।

मध्य अरावली प्रदेश 

मध्य अरावली प्रदेश में स्थित पहाड़ियों की औसत ऊँचाई 700 मीटर है तो घाटियों की औसत ऊँचाई 550 मीटर है जिनका निर्माण ग्रेनाइट चट्टानों से हुआ है अतः यहाँ की चट्टानों में संगमरमर, क्वार्टजाइट व ग्रेनाइट की प्रधानता है।

अरावली पर्वत माला में मध्य अरावली प्रदेश में ही सर्वाधिक अन्तराल पाया जाता है।

इस भाग की सबसे ऊँची चोटी मारायजी (टॉड़गढ़) अजमेर 933.72 मीटर है तथा इस भाग का केन्द्रिय भाग तारागढ़ (अजमेर) 870 मीटर है।

अजमेर के दक्षिण-पश्चिम भाग में तारागढ़ और पश्चिम में सर्पिलाकार पर्वत श्रेणियाँ नाग पहाड़ (795 मीटर) कहलाती है।

उत्तरी अरावली प्रदेश

 • उत्तरी अरावली की औसत ऊँचाई 450 मीटर है जिसका 25 निर्माण क्वार्टजाइट एवं फाईलाइट शैलों से हुआ है।

इस भाग की सबसे ऊँची चोटी सीकर जिले में स्थित रघुनाथगढ़ (1055 मीटर) है।

 इस प्रदेश के केन्द्रीय भाग में शेखावाटी की पहाड़ियाँ विस्तारित है।

जयपुर में प्रमुख पर्वत शृंखलाएँ बरवाड़ा (786 मीटर), मनोहरपुरा ( 747 मीटर), जयगढ़ (648 मीटर), नाहरगढ़ (599 मीटर ) आदि हैं।

अलवर में पुनः अरावली श्रेणियों का सघन विस्तार है यहाँ के प्रमुख शिखर बैराठ (792 मीटर), बिलाली (775 मीटर), सिरावास (651 मीटर), भानगढ़ (649 मीटर), अलवर किला (597 मीटर) है।

अरावली के प्रमुख पठार

उड़िया का पठार- सिरोही में स्थित यह राज्य का सबसे ऊंचा पठार है।

इसकी ऊंचाई 1360 मी. है।

आबू का पठार

सिरोही में स्थित यह राज्य का दूसरा सबसे ऊंचा पठार है।

इसकी ऊंचाई 1200 मी. है।

भोराठ का पठार

उदयपुर के उत्तर-पश्चिम में गोगुन्दा व कुंभलगढ़ के मध्य में स्थित है।

इसकी ऊंचाई 600 मी. है।

ऊपरमाल का पठार

भैंसरोडगढ़ से बिजौलिया तक का क्षेत्र जो आगे चलकर मालवा के पठार में मिल जाता है।

मनदेसरा/मानदेसरा का पठार- यह भैंसरोड़गढ (चितौड़गढ) में स्थित है।

लासाड़िया पठार

यह जयसमंद झील के पूर्व में स्थित है।

मेसा का पठार

इस पर चितौड़गढ़ का किला स्थित है।

मगरा क्षेत्र- उदयपुर जिले के उत्तर-पश्चिमी भाग में पाली, राजसमंद से जुड़ा पर्वतीय क्षेत्र।

कांकणवाड़ी का पठार- यह सरिस्का (अलवर) में स्थित है।

क्रासका का पठार- सरिस्का (अलवर) में स्थित है।

पूर्वी मैदानी प्रदेश 

पूर्वी मैदानी प्रदेश राज्य के 23 प्रतिशत क्षेत्र में फैला हुआ है।

पूर्वी मैदानी प्रदेश में राज्य की 39 प्रतिशत जनसंख्या निवास करती है।

पूर्वी मैदानी प्रदेश में निम्न जिले शामिल है –  जयपुर, सवाईमाधोपुर, अलवर, दौसा, भरतपुर, टोंक, धौलपुर, बाँसवाड़ा, करौली और अजमेर।

पूर्वी मैदानी प्रदेश में आई जलवायु पाई जाती है।

पूर्वी मैदानी प्रदेश में वार्षिक वर्षा का औसत 50 से 80 सेमी है।

पूर्वी मैदानी प्रदेश में पाई जाने वाली प्रमुख मिट्टी जलोढ़ अथवा दोमट है।

पूर्वी मैदानी प्रदेश की प्रमुख फसल गेहूँ, जौ, चना, सरसों, बाजरा, दालें व गन्ना है।

पूर्वी मैदानी प्रदेश के प्रमुख राष्ट्रीय उद्यान कैवलादेव व रणथम्भौर है।

पूर्वी मैदान प्रदेश में बहने वाली प्रमुख नहर गुड़गाँव व भरतपुर नहर है।

चंबल बेसिन में 5-30 मीटर खण्डयुक्त बीहड़ भूमि को ‘खादर’ कहा जाता है।

पूर्वी मैदानी प्रदेश का ढाल पश्चिम से पूर्व की ओर है, इस कारण इस प्रदेश में बहने वाली नदियाँ अपना जल बंगाल की खाड़ी में लेकर जाती है।

पूर्वी मैदान का भाग आगे चलकर गंगा यमना दोआब में मिल जाता है।

दक्षिण-पूर्वी पठारी प्रदेश

दक्षिण-पूर्वी पठारी प्रदेश राज्य के 7 प्रतिशत (6.89 प्रतिशत ) क्षेत्र में फैला हुआ है।

दक्षिण-पूर्वी पठारी प्रदेश में राज्य की 11 प्रतिशत जनसंख्या निवास करती है।

दक्षिण-पूर्वी पठारी प्रदेश में शामिल जिले – कोटा, भीलवाड़ा, बूंदी, चितौडगढ़, बारां, बांसवाड़ा, झालावाड़

दक्षिण-पूर्वी पठारी प्रदेश में अतिआर्द जलवायु पाई जाती है।

दक्षिण-पूर्वी पठारी प्रदेश में वार्षिक वर्षा का औसत 80 से 2. 120 सेमी. है।

दक्षिण-पूर्वी पठारी प्रदेश में पाई जाने वाली प्रमुख मिट्टी काली, लाल व कच्छारी है।

दक्षिण-पूर्वी पठारी प्रदेश की प्रमुख फसल मसाले हैं।

दक्षिण-पूर्वी पठारी प्रदेश के प्रमुख राष्ट्रीय उद्यान – दर्रा राष्ट्रीय उद्यान व चंबल घड़ियाल अभयारण्य है।

 दक्षिण-पूर्वी पठारी प्रदेश की प्रमुख वनस्पति उष्ण शुष्क पतझड़ वाले वन हैं।

दक्षिण-पूर्वी पठारी प्रदेश में बहने वाली प्रमुख नदियां चंबल, पार्वती व कालीसिंध नदी हैं।

विध्याचल पर्वत- राजस्थान के दक्षिणी-पूर्वी सीमा (मध्यप्रदेश) में स्थित क्षेत्र।

हाड़ौती पठार के अन्तर्गत ऊपरमाल का पठार और मेवाड़ का पठार जिसमें राजनीतिक दृष्टि से झालावाड़ से बूंदी और कोटा, चित्तौड़गढ़, भीलवाड़ा और बॉसवाड़ा के कुछ भाग सम्मिलित हैं।

पठारी भाग आगे चलकर मालवा के पठार में मिल जाता है।

मालवा का पठार दक्षिण-पूर्वी राजस्थान में स्थित है।

इसकी . कुल ऊँचाई 360 से 460 मीटर है।

दक्षिणी-पूर्वी पठार (हाड़ौती) में अनेक पर्वत श्रेणियाँ हैं, जिनमें मुकन्दरा की पहाड़ियाँ और बँदी की पहाड़ियाँ प्रमुख हैं।

ये पहाड़ियाँ अर्द्धचन्द्राकार रूप में विस्तृत हैं।

इन श्रेणियों की औसत ऊँचाई 300 से 350 मीटर तथा इनका सर्वोच्च शिखर सतूर (353 मीटर) है, जो बूंदू नगर से 13 किमी. पश्चिम में है।

अन्य रोचक महत्वपूर्ण तथ्य :-

1. राजस्थान के अजमेर जिले में मानव बसावट/संरचना का घनत्व अधिकतम है।

2. जैसलमेर जिमे में 700 पूर्वी देशान्तर रेखा गुजरती है।

3. धरियन – जैसलमेर में स्थानांतरित बालूका स्तूप।

4. खेड़ाऊ – अकाल पड़ने पर मवेशियों को लेकर अन्य प्रदेशों की ओर चारे-पानी की खोज में जाने वाला व्यक्ति।

5. अरावली पर्वतमाला का सर्वाधिक विस्तार उदयपुर में तथा न्यूनतम विस्तार अजमेर में है।

6. हर्ष एवं मालखेत की पहाड़ियां – सीकर

7. वृहत् सीमान्त भ्रंश – यह बूंदी-सवाई माधोपुर की पहाड़ियों के सहारे फैला है।

8. हम्मादा – चट्‌टानी मरूस्थल। रेग – पथरीला मरूस्थल। इर्ग – रैतीला मरूस्थल

9. मावठ – पश्चिमी विक्षोभों (भूमध्यसागरीय चक्रवातों) से होने वाली शीतकालीन वर्षा। यह वर्षा रबी की फसलों के लिए लाभकारी होती है। राजस्थान में इसे ‘गोल्डन ड्रॉप्स’ के नाम से जाना जाता है।

10. लाठी शृंखला – जैसलमेर में फैली भूगर्भीय जलपट्टी।

11. आडावाला पर्वत – बूंदी में

12. बीजासण का पहाड़ – भीलवाड़ा।

13. मैरा – हनुमानगढ़ के उत्तरी इलाके में पायी जाने वाली हल्के पीले रंग की हल्की चिकनी मिट्‌टी।

14. बांका पट्‌टी (कुबड़ पट्‌टी) – नागौर-अजमेर। (जल में फ्लोराइड की अधिकता के कारण)

15. भाकर – सिरोही जिले में तीव्र ढाल युक्त एवं कटी फटी पहाड़ियां।

16. ढाढ़ या तल्ली – बीकानेर-चुरू में वर्षा पानी भरने में निर्मित प्लाया झीले।

17. राजस्थान में सर्वाधिक बीहड़ भूमि धौलपुर जिले में है।

18. पुरवाई (पुरवाईया) – बंगाल की खाड़ी से आने वाली मानसूनी हवा।

19. लू – राजस्थान में ग्रीष्म ऋतु में चलने वाली गर्म हवाएं।

20. सबसे अधिक क्षेत्रफल वाले जिले –

  •  1. जैसलमेर (38401 वर्ग किमी.)
  •  2. बाड़मेर (28, 387 वर्ग किमी.)
  •  3. बीकानेर (27244 वर्ग किमी.)
  •  4. जोधपुर (22,850 वर्ग किमी.)
  • 21. सबसे कम क्षेत्रफल वाले जिले –
  •  1. धौलपुर (3034 वर्ग किमी.)
  •  2. दौसा (3432 वर्ग किमी.)
  •  3. डूंगरपुर (3770 वर्ग किमी.)
  •  4. राजसमन्द (3860 वर्ग किमी.)
  • 22. 3सी छोटी गाँव – गंगानगर का गाँव, जो देश का पहला नियोजित रूप से बसा हुआ गाँव है।
  • 23. वैदिक नदी सरस्वती का उल्लेख ऋग्वेद के दुसरे, तीसरे व सातवें मण्डल में मिलता है।
  • 24. राजस्थान में गाँवों की संख्या – 44, 672
  • 25. राजस्थान में कुल नगरों की संख्या – 297
  • 26. डंग-गंगधार की उच्च भूमि राजस्थान के दक्षिणी-पूर्वी पठार में अवस्थित है।
राजस्थान की प्रमुख पर्वत चोटियाँ
क्र.स़.पर्वत चोटियांलम्बाई(मीटरमें)जिला
1गुरूशिखर1722सिरोही
2सेर1597सिरोही
3दिलवाड़ा1442सिरोही
4जरगा1431उदयपुर
5अचलगढ़1380सिरोही
6आबू1295माउन्ट आबू
7कुम्भलगढ़1224राजसमन्द
8धोनिया1183राजसमन्द
9रघुनाथगढ़1055सीकर
10ऋषिकेश1017उदयपुर
11कमलनाथ1001उदयपुर
12गोरमजी934अजमेर
13खौ920जयपुर
14तारागढ़870अजमेर
15भैराच792अलवर
16बरवाड़ा786जयपुर
17बाबाई780झुंझुनू
18बिलाली775अलवर
19मनोहरपुरा747जयपुर
20बैराठ704जयपुर
21काकनवाड़ीअलवर
22सिरावास651
23भानगढ़649अलवर
राजस्थान की प्रमुख पर्वत चोटियाँ

  • 28. अरावली के उत्तरी-पूर्वी छोर पर पोतवार का पठार है।
  • 29. राजस्थान की प्राचीनतम वलित पर्वतमाला अरावली को वायु पुराण में ‘परिपत्र’ कहा गया है।
  • 30. राजस्थान में कर्क रेखा की लम्बाई 26 किमी है।(कुछ पुस्तकों में 27 किमी.)
  • 31. राजस्थान की लम्बाई-चौड़ाई में अन्तर 43 किमी. है।
  • 32. राजस्थान का छींछ गांव कर्क रेखा पर अवस्थित है।
  • 33. सर्वाधिक स्थलीय सीमा बनाने वाला जिला – झालावाड़ (520 किमी.)
  •  न्यूनतम स्थलीय सीमा बनाने वाला जिला – भीलवाड़ा (16 किमी.)
  • 34. राज्य के आन्तरिक जिले – 8 (अजमेर, राजसमन्द, नागौर, टोंक, पाली, दौसा, बूंदी एवं जोधपुर)
  • 35. थोब नामक रन बाड़मेर में तथा कनोड़, बरमसर नामक रन जैसलमेर जिले में है।
  • 36. नेहड़ – जालौर क्षेत्र में लूनी नदी का अंतिम दलदली क्षेत्र।
  • 37. मेरवाड़ा – यह मारवाड़ के मैदान व मेवाड़ के उच्च प्रदेश को अलग करती है।
  • 38. राजस्थान के धौलपुर जिले से 78° पूर्वी देशांतर रेखा गुजर है।
  • 39. जिले ऐसे है जो एक से अधिक भाग में है।
  • 40. छप्पन की पहाड़िया बाड़मेर में  है। जबकि छप्पन का मैदान प्रतापगढ़ में

Q1. दक्षिणी-पूर्वी राजस्थान के दक्कन लावा पठार क्षेत्र में भैंसरोड़गढ़ (चित्तौड़गढ़) से बिजोलिया (भीलवाड़ा) तक का भू-भाग किस नाम से जाना जाता है-

(A)मगरा क्षेत्र
(B)ऊपरमाल
(C)खादर
(D)भभूल्या

Ans: (B)ऊपरमाल

Q2. निम्न में से कौनसा जिला मध्यप्रदेश की सीमा पर नहीं है-

(A)कोटा
(B)बारां
(C)भरतपुर
(D)चित्तौड़गढ़

Ans: (C)भरतपुर

Q3. राजस्थान के कितने जिलों की सीमा किसी राज्य या देश से नहीं मिलती है

(A)6
(B)10
(C)8
(D)5

Ans: (C)8

Q4. राजस्थान के कितने जिलों की अन्तर्राष्ट्रीय व अन्तर्राज्यीय दाेनों ही प्रकार की सीमाएँ हैं- पूर्व की ओर विच्छेदित व कटाफटा पठार।

(A)4 जिले
(B)3 जिले
(C)2 जिले
(D)1 जिले

Ans: (C)2 जिले

Q5. राजस्थान में उत्तरी पश्चिमी मरु प्रदेश, पूर्वी मैदान तथा खारे पानी की झीले किसका अवशेष माने जाते हैं-

(A)अंगारालैण्ड
(B)गौंडवानालैण्ड
(C)टेथिस सागर
(D)अरब सागर

Ans: (C)टेथिस सागर

Q6. राजस्थान का हृदय किसे कहा जाता है-

(A)जयपुर
(B)अजमेर
(C)उदयपुर
(D)पाली

Ans: (B)अजमेर

Q7. अरावली पर्वत तथा दक्षिणी – पूर्वी पठारी भाग (हाड़ौती पठार) किसका अवशेष माना जाता है-

(A)अंगारालैण्ड
(B)हिमालय
(C)विंध्याचल
(D)गौंडवानालैण्ड

Ans: (D)गौंडवानालैण्ड

Q8. विंध्यन कगार भूमि व दक्कन लावा पठार किस क्षेत्र में आते हैं-

(A)पूर्वी मैदानी क्षेत्र
(B)उत्तरी-पश्चिमी रेगिस्तान क्षेत्र
(C)दक्षिणी – पूर्वी पठारी भाग
(D)मध्यवर्ती अरावली पर्वतीय क्षेत्र

Ans: (C)दक्षिणी – पूर्वी पठारी भाग

Q9. लसाड़िया का पठार कौनसे जिले में है?

(A)भीलवाड़ा
(B)उदयपुर
(C)चित्तौड़गढ़
(D)सिरोही

Ans: (B)उदयपुर

Q10. असंगत छांटिये-

(A)घण्टियों का शहर – झालरापाटन (झालावाड़)
(B)राजस्थान का पंजाब – सांचौर (जालौर)
(C)राजस्थान का शिमला – माउण्ट आबू (सिरोही)
(D)जलमहलों की नगरी – उदयपुर

Ans: (D)जलमहलों की नगरी – उदयपुर

Q11. कर्नल जेम्स टॉड ने ‘मेवाड़ का थर्मोपल्ली’ हल्दीघाटी को कहा, तो बताएं कि हल्दी घाटी किस जिले में हैं-

(A)चित्तौड़गढ़
(B)उदयपुर
(C)राजसमंद
(D)पाली

Ans: (C)राजसमंद

Q12. सुमेलित कीजिये-
A. नवाबों का शहर 1. टोंक
B. उद्यानों का शहर 2. कोटा
C. बावड़ियों की नगरी 3. बूंदी
D. टेक्सटाईल सिटी 4. भीलवाड़ा
कूट :

(A)A-1, B-2, C-3, D-4
(B)A-2, B-1, C-4, D-3
(C)A-3, B-4, C-1, D-2
(D)A-4, B-1, C-2, D-3

Ans: (A)A-1, B-2, C-3, D-4

Q13. क्षेत्रफल की दृष्टि से राजस्थान का सबसे बड़ा व छोटा संभाग क्रमशः कौनसा है-

(A)जयपुर, अजमेर
(B)जोधपुर, भरतपुर
(C)भरतपुर, बीकानेर
(D)जयपुर, बीकानेर

Ans: (B)जोधपुर, भरतपुर

Q14. क्षेत्रफल की दृष्टि से राजस्थान का सबसे बड़ा जिला कौनसा है-

(A)जयपुर
(B)जोधपुर
(C)जैसलमेर
(D)बाड़मेर

Ans: (C)जैसलमेर

Q15. क्षेत्रफल की दृष्टि से राजस्थान का सबसे छोटा जिला कौन सा है-

(A)दौसा
(B)धौलपुर
(C)कोटा
(D)बीकानेर

Ans: (B)धौलपुर

Q16. जयपुर व आस पास का क्षेत्र किस नाम से जाना जाता था-

(A)मालवं
(B)मेवात
(C)ढूंढाड़
(D)मेवाड़

Ans: (C)ढूंढाड़

Q17. सुमेलित कीजिये-
A. डूंगरपुर और बांसवाड़ा के बीच का भाग
1. मेवल B. अलवर
2. मेवात C. जोधपुर
3. मारवाड़ D. भरतपुर, धौलपुर, करौली
4. शूरसेन प्रदेश E. पाली, नागौर तथा सीकर व झुंझुनूं का कुछ भाग
5. बांगड़
कूट :

(A)A-4, B-3, C-2, D-1, E-5
(B)A-1, B-2, C-3, D-4, E-5
(C)A-5, B-4, C-3, D-2, E-1
(D)A-3, B-4, C-1, D-2, E-5

Ans: (B)A-1, B-2, C-3, D-4, E-5

Q18. निम्न में से कौनसा युग्म सुमेलित नहीं है-

(A)त्रिकूट पहाड़ी – जैसलमेर
(B)आडावाला पर्वत – बूंदी
(C)मालखेत पहाड़ियां – सीकर
(D)बीजासण पहाड़ियां – उदयपुर

Ans: (D)बीजासण पहाड़ियां – उदयपुर

Q19. राजस्थान को कितने भौतिक विभागों में बांटा गया है-

(A)2
(B)7
(C)4
(D)3

Ans: (C)4

Q20. शेखावाटी क्षेत्र में घास के मैदानों का स्थानीय नाम क्या है?

(A)बीड़
(B)जोहड़
(C)डाँग
(D)खड़ीन

Ans: (A)बीड़

Q21. राज्य का लगभग कितने प्रतिशत भाग मरूथलीय है-

(A)51%
(B)55%
(C)61%
(D)71%

Ans: (C)61%

Q22. भारत का सबसे बड़ा मरुस्थल कौनसा है-

(A)सहारा
(B)थार
(C)गोभी
(D)इनमें से कोई नहीं

Ans: (B)थार

Q23. अरावली पर्वतमाला की औसत ऊँचाई है?

(A)930 मीटर
(B)910 मीटर
(C)730 मीटर
(D)875 मीटर

Ans: (A)930 मीटर

Q24. सांभर, डीडवाना व पचपदरा खारी झीले किस सागर का अवशेष है-

(A)अरब सागर
(B)टेथिस सागर
(C)लाल सागर
(D)गुलाब सागर

Ans: (B)टेथिस सागर

Q25. सर्दियों में भूमध्यसागरीय चक्रवातों (पश्चिमी विक्षोभों) के कारण उत्तरी व पश्चिमी राजस्थान में होने वाली वर्षा को क्या कहते हैं-

(A)रिमझिम
(B)मावट/महावट
(C)रन
(D)बरखान

Ans: (B)मावट/महावट

Q26. ‘चन्दन नल कूप’ जिसे थार का घड़ा कहा जाता है, कहाँ है-

(A)बाड़मेर
(B)जैसलमेर
(C)जोधपुर
(D)गंगानगर

Ans: (B)जैसलमेर

Q27. अरावली पर्वत तथा दक्षिणी – पूर्वी पठारी भाग (हाड़ौती पठार) किसका अवशेष माना जाता है-

(A)अंगारालैण्ड
(B)हिमालय
(C)विंध्याचल
(D)गौंडवानालैण्ड

Ans: (D)गौंडवानालैण्ड

Q28. विंध्यन कगार भूमि व दक्कन लावा पठार किस क्षेत्र में आते हैं-

(A)पूर्वी मैदानी क्षेत्र
(B)उत्तरी-पश्चिमी रेगिस्तान क्षेत्र
(C)दक्षिणी – पूर्वी पठारी भाग
(D)मध्यवर्ती अरावली पर्वतीय क्षेत्र

Ans: (C)दक्षिणी – पूर्वी पठारी भाग

Q29. दक्षिणी – पूर्वी पठारी प्रदेश में राज्य का लगभग कितना प्रतिशत भाग आता है-

(A)7%
(B)5%
(C)15%
(D)12%

Ans: (A)7%

Q30. निम्न में से कौनसा जिला राजस्थान का अंतर्वर्ती जिला नहीं है?

(A)दौसा
(B)टोंक
(C)बूंदी
(D)भीलवाड़ा

Ans: (D)भीलवाड़ा

Q31. मरूस्थल में बालुका-स्तूपों के बीच में स्थित निम्न भूमि में वर्षा का जल भर जाने से अस्थायी झीलों व दलदली भूमि का निर्माण होता है, इसे क्या कहते हैं-

(A)रन/रण
(B)महावट
(C)खड़ीन
(D)इनमें से कोई नहीं

Ans: (A)रन/रण

Q33. कर्नल जेम्स टॉड ने ‘मेवाड़ का थर्मोपल्ली’ हल्दीघाटी को कहा, तो बताएं कि हल्दी घाटी किस जिले में हैं-

(A)चित्तौड़गढ़
(B)उदयपुर
(C)राजसमंद
(D)पाली

Ans: (C)राजसमंद

Q34. हर्ष की पहाड़ियाँ किस जिले में स्थित है?

(A)दौसा
(B)अजमेर
(C)सीकर
(D)उदयपुर

Ans: (C)सीकर

Q35. उदयपुर जिले के उत्तरी भाग अरावली श्रेणी के पश्चिमी उप – पर्वतीय खण्ड द्वारा तथा इसके परे 50 सेमी. की वर्षा रेखा तथा महान भारतीय जल विभाजक द्वारा किसकी सीमा बनती है-

(A)हाड़ौती पठार की सीमा
(B)पूर्वी मैदानी सीमा
(C)कांठल क्षेत्र की सीमा
(D)उत्तरी – पश्चिमी रेगिस्तान की पूर्वी सीमा

Ans: (D)उत्तरी – पश्चिमी रेगिस्तान की पूर्वी सीमा

Q36. अरावली शृंखला राजस्थान क कुल क्षेत्रफल का कितने % है-

(A)15.4%
(B)23.3%
(C)9.3%
(D)10.41%

Ans: (C)9.3%

Q37. अरावली किस प्रकार की पर्वत शृंखला है-

(A)वलित पर्वतमाला
(B)टर्शरी पर्वतमाला
(C)उच्च पर्वतमाला
(D)हिम पर्वतमाला

Ans: (A)वलित पर्वतमाला

Q38. रेगिस्तान का मार्च’ (March to Desert) से क्या तात्पर्य है-

(A)फाल्गुन का महीना
(B)रेगिस्तान को हरा-भरा बनाना
(C)रेगिस्तान का आगे बढ़ना
(D)रेगिस्तान में जल खोजना

Ans: (C)रेगिस्तान का आगे बढ़ना

Q39. अरावली पर्वत शृंखला की कुल लम्बाई कितनी है-

(A)629 किमी.
(B)550 किमी.
(C)592 किमी.
(D)692 किमी.

Ans: (A)629 किमी.

Q40. अरावली की चौड़ाई कहाँ से बढ़ने लगती है-

(A)खेतड़ी के उत्तर पूर्व से
(B)उदयपुर और डूंगरपुर की तरफ दक्षिण पूर्व में
(C)अजमेर के बाद उत्तर में
(D)सीकर के बाद दक्षिण पूर्व में

Ans: (B)उदयपुर और डूंगरपुर की तरफ दक्षिण पूर्व में

Q41. विश्व की प्राचीनतम वलित पर्वत शृंखला है-

(A)हिमालय
(B)अरावली
(C)विन्ध्याचल
(D)इनमें से कोई नहीं

Ans: (B)अरावली

Q42. अरावली पर्वत का सर्वाधिक महत्व किस कारण से है-

(A)उत्तर-पश्चिम में फैले विशाल थार के मरूस्थल को दक्षिण-पूर्व की ओर बढ़ने से रोकना
(B)वर्षा में सहायता करना
(C)उपयोगी वनस्पतियाँ प्रदान करना
(D)राजस्थान को दो भागों में बांटना

Ans: (A)उत्तर-पश्चिम में फैले विशाल थार के मरूस्थल को दक्षिण-पूर्व की ओर बढ़ने से रोकना

Q43. अरावली पर्वत शृंखला की सबसे ऊँची चोटी गुरूशिखर (1722 मीटर), जिसे कर्नल जेम्स टॉड ने ‘सन्तों का शिखर’ कहा है, कहाँ है-

(A)माउण्ट आबू (सिरोही)
(B)जगत (उदयपुर)
(C)सांचौर (जालौर)
(D)हल्दी घाटी (राजसमंद)

Ans: (A)माउण्ट आबू (सिरोही)

Q44. उत्तरी अरावली क्षेत्र की सबसे ऊँची चोटी कौनसी है-

(A)रघुनाथगढ़
(B)तारागढ़
(C)भैंराच
(D)बाबाई

Ans: (A)रघुनाथगढ़

Q45. शेखावाटी क्षेत्र में घास के मैदानों का स्थानीय नाम क्या है?

(A)बीड़
(B)जोहड़
(C)डाँग
(D)खड़ीन

Ans: (A)बीड़

Q46. राज्य का लगभग कितने प्रतिशत भाग मरूथलीय है-

(A)51%
(B)55%
(C)61%
(D)71%

Ans: (C)61%

Q47. अरावली पर्वतमाला का सर्वाधिक व न्यूनतम विस्तार क्रमशः किन जिलों में है-

(A)उदयपुर, भीलवाड़ा
(B)सिरोही, झुंझनुँ
(C)राजसमंद, जयपुर
(D)उदयपुर, अजमेर

Ans: (D)उदयपुर, अजमेर

Q48. सापेक्षिक दृष्टि से राजस्थान का कौनसा भू-आकृतिक प्रदेश अस्पष्ट अधर प्रवाह का क्षेत्र है-

(A)उत्तरी-पश्चिमी रेगिस्तानी भाग
(B)मध्यवर्ती अरावली पर्वतीय श्रेणी
(C)दक्षिणी-पूर्वी पठारी प्रदेश
(D)पूर्वी मैदान

Ans: (C)दक्षिणी-पूर्वी पठारी प्रदेश

Q49. मध्यवर्ती अरावली पर्वतीय श्रेणी में स्थित दर्रे व पहाड़ी मार्ग को क्या कहा जाता है-

(A)नाल
(B)नाली
(C)खाई
(D)इर्ग

Ans: (A)नाल

Q50. सांभर, डीडवाना व पचपदरा खारी झीले किस सागर का अवशेष है-

(A)अरब सागर
(B)टेथिस सागर
(C)लाल सागर
(D)गुलाब सागर

Ans: (B)टेथिस सागर

Q51. राजस्थान बांगर के लघु प्रदेशों (उपभागों) के नाम बताइये-

(A)घग्घर क्षेत्र (हनुमानगढ़, गंगानगर का क्षेत्र), आन्तरिक जल प्रवाह (शेखावाटी) क्षेत्र, नागौरी उच्च प्रदेश, गोंडवाड़ा (लूनी बेसिन) प्रदेश
(B)लूनी बेसिन, छप्पन का मैदान
(C)माही बेसिन, घग्घर बेसिन
(D)इनमें से कोई नहीं

Ans: (A)घग्घर क्षेत्र (हनुमानगढ़, गंगानगर का क्षेत्र), आन्तरिक जल प्रवाह (शेखावाटी) क्षेत्र, नागौरी उच्च प्रदेश, गोंडवाड़ा (लूनी बेसिन) प्रदेश

Q52. राजस्थान के पश्चिम भाग में पाया जाने वाला सर्वाधिक विषैला सर्प है-

(A)कोबरा
(B)पेंथर
(C)कालिया
(D)पीवणा

Ans: (D)पीवणा

Q53. क्षेत्रफल की दृष्टि से अधिकांश बड़े जिले राजस्थान के किस क्षेत्र में है-

(A)उत्तरी क्षेत्र में
(B)दक्षिणी क्षेत्र में
(C)पूर्वी क्षेत्र में
(D)पश्चिमी क्षेत्र में

Ans: (D)पश्चिमी क्षेत्र में

Q54. पूर्वी सिरोही में तीव्र ढाल व ऊबड़-खाबड़ कटक (पहाड़ियाँ) हैं जो स्थानीय भाषा में किस नाम से जानी जाती है-

(A)मेखला
(B)गिरवा
(C)भाकर
(D)शृंखलाएँ

Ans: (C)भाकर

Q55. किस जिले के आस-पास पहाड़ी से घिरा तश्तरीनुमा क्षेत्र ‘गिरवा’ कहलाता है-

(A)उदयपुर
(B)पाली
(C)जोधपुर
(D)अजमेर

Ans: (A)उदयपुर

Q56. भोराठ पठार के पूर्व में दक्षिणी सिरे का पर्वत स्कन्ध किनके बीच एक जल विभाजक का कार्य करता है-

(A)अरब सागर व लूनी नदी के बीच
(B)अरब सागर व बंगाल की खाड़ी के बीच
(C)बंगाल की खाड़ी व हिन्द महासागर के बीच
(D)माही व चम्बल नदी के बीच

Ans: (B)अरब सागर व बंगाल की खाड़ी के बीच

Q57. राजस्थान के किस प्राकृतिक भू-भाग में सर्वाधिक जनसंख्या घनत्व है-

(A)पूर्वी मैदानी प्रदेश
(B)दक्षिणी-पूर्वी पठारी प्रदेश
(C)अरावली पर्वतीय प्रदेश
(D)पश्चिमी मरूस्थलीय प्रदेश

Ans: (A)पूर्वी मैदानी प्रदेश

Q58. जैसलमेर जिले में स्थानान्तरित होने वाले बालूका स्तूपों को स्थानीय भाषा में क्या कहते हैं-

(A)कुरियन
(B)मावट
(C)भाकर
(D)धरियन

Ans: (D)धरियन

Q59. भोराठ का पठार किन जिलों में स्थित है-

(A)उदयपुर व डूंगरपुर
(B)उदयपुर व चित्तौड़गढ़
(C)उदयपुर व राजसमंद
(D)अजमेर व पाली

Ans: (C)उदयपुर व राजसमंद

Q60. राजस्थान के किस जिले में दैनिक तापांतर सर्वाधिक रहता है-

(A)बीकानेर
(B)चुरू
(C)जैसलमेर
(D)बाड़मेर

Ans: (C)जैसलमेर

Q61. राजस्थान का सबसे उपजाऊ भाग कौनसा है-

(A)उत्तर-पश्चिमी रेगिस्तानी भाग
(B)पूर्वी मैदान
(C)दक्षिणी-पूर्वी पठारी भाग
(D)इनमें से कोई नहीं

Ans: (B)पूर्वी मैदान

Q62. पूर्वी मैदानी प्रदेश में राजस्थान का कितना भाग आता है-

(A)23.3%
(B)30%
(C)9%
(D)40.5%

Ans: (A)23.3%

Q63. पूर्वी मैदानी क्षेत्र में राज्य की लगभग कितने प्रतिशत जनता निवास करती है-

(A)50%
(B)40%
(C)30%
(D)20%

Ans: (B)40%

Q64. पूर्वी मैदानी क्षेत्र में कौनसा क्षेत्र सम्मिलित नहीं है-

(A)चम्बल बेसिन
(B)लूनी बेसिन
(C)माही बेसिन (छप्पन बेसिन)
(D)बनास बेसिन

Ans: (B)लूनी बेसिन

Q65. प्रतापगढ़ व बांसवाड़ा के मध्य का मैदान कहलाता है-

(A)उपजाऊ मैदान
(B)पीडमाण्ट मैदान
(C)छप्पन का मैदान
(D)चम्बल का मैदान

Ans: (C)छप्पन का मैदान

Q66. अरावली किस प्रकार की पर्वत शृंखला है-

(A)वलित पर्वतमाला
(B)टर्शरी पर्वतमाला
(C)उच्च पर्वतमाला
(D)हिम पर्वतमाला

Ans: (A)वलित पर्वतमाला

Q67. किस जिले की पहाड़ियों का स्थानीय नाम मालखेत की पहाड़ियाँ हैं-

(A)चुरू
(B)कोटा
(C)उदयपुर
(D)सीकर

Ans: (D)सीकर

Q68. चित्तौड़गढ़ का किला किस पठार पर स्थित है-

(A)मेसा पठार
(B)उड़िया पठार
(C)भोराठ का पठार
(D)इनमें से कोई नहीं

Ans: (A)मेसा पठार

Q69. राज्य का सबसे ऊँचा पठार, जो गुरु शिखर से नीचे स्थित है-

(A)उड़िया पठार
(B)भोराठ का पठार
(C)हाड़ौती का पठार
(D)मेसा पठार

Ans: (A)उड़िया पठार

Q70. जैसलमेर किला व जोधपुर किला क्रमशः किन पहाड़ियों पर स्थित है-

(A)आड़ावाला पर्वत, मेरवाड़ की पहाड़ियाँ
(B)त्रिकूट पहाड़ियाँ, नाग पहाड़
(C)त्रिकूट पहाड़ी, चिड़ियाटूँक की पहाड़ी
(D)इनमें से कोई नहीं

Ans: (C)त्रिकूट पहाड़ी, चिड़ियाटूँक की पहाड़ी

Q71. मारवाड़ के मैदान को मेवाड़ के उच्च पठार से अलग करने वाली पर्वत श्रेणी ‘मेरवाड़ा की पहाड़ियाँ’ है, जो टाडगढ़ के समीप है, ये किस जिले में है-

(A)सीकर
(B)राजसमंद
(C)सिरोही
(D)अजमेर

Ans: (D)अजमेर

Q72. मध्य अरावली क्षेत्र के अन्तर्गत कौन-कौन सी पहाड़िया आती है-

(A)मेवाड़ी चट्टानी क्षेत्र एवं भोराट का पठार
(B)बैराठ की पहाड़िया
(C)छप्पन की पहाड़ियाँ
(D)शेखावटी निम्न पहाड़ियाँ एवं मारवाड़

Ans: (D)शेखावटी निम्न पहाड़ियाँ एवं मारवाड़

Q73. रेतीले शुष्क मैदान और अर्द्ध शुष्क मैदान को कौनसी रेखा विभाजित करती है-

(A)15 सेमी. वर्षा रेखा
(B)32º समताप रेखा
(C)40º समताप रेखा
(D)25 सेमी. वर्षा रेखा

Ans: (D)25 सेमी. वर्षा रेखा

Q74. संरचना की दृष्टि से राजस्थान के भौतिक स्वरूप निम्न में से देश के किन भौतिक स्वरूपों के अन्तर्गत आते हैं-

(A) उत्तरी पर्वतीय प्रदेश
(b) प्रायद्वीपीय पठारी क्षेत्र
(c) उत्तर का विशाल मैदान
(d) तटीय मैदान

(A)a व B
(B)b व C
(C)c व D
(D)a व D

Ans: (B)b व C

Q75. अरावली पर्वतमाला के कौन – से भाग में सर्वाधिक अन्तराल (Gaps) विद्यमान है-

(A)उत्तरी
(B)दक्षिणी
(C)मध्यवर्ती
(D)इनमें से कोई नहीं

Ans: (C)मध्यवर्ती

Q76. गोडवाड़ प्रदेश किस बेसिन को कहते हैं-

(A)चम्बल बेसिन
(B)माही बेसिन
(C)लूनी बेसिन
(D)बनास बेसिन

Ans: (C)लूनी बेसिन

Q77. शेखावटी क्षेत्र में कुओं को स्थानीय भाषा में क्या कहा जाता है-

(A)बावड़ी
(B)झालरा
(C)रन
(D)जोहड़

Ans: (D)जोहड़

Q78. निम्न में से तश्तरीनुमा बेसिन (गिरवा) में बसा हुआ नगर है-

(A)उदयपुर
(B)भीलवाड़ा
(C)जयपुर
(D)जोधपुर

Ans: (A)उदयपुर

Q79. राजस्थान के दक्षिण – पूर्व में अति आर्द्र लूनी बेसिन तथा उत्तर – पूर्व में शेखावटी शुष्क अन्तवर्ती मैदान के बीच का प्रदेश किस नाम से जाना जाता है-

(A)गौडवाड़ प्रदेश
(B)लघु प्रदेश
(C)नागौरी उच्च भूमि
(D)लघु मरूस्थल

Ans: (C)नागौरी उच्च भूमि

Q80. जरगा और रागा के पहाड़ी के मध्य का क्षेत्र क्या कहलाते हैं-

(A)कांठल
(B)देशहरो
(C)गिरवा
(D)उपरमाल

Ans: (B)देशहरो

Q81. आकृति एवं संरचना की दृष्टि से किस पर्वत शृंखला की तुलना संयुक्त राज्य अमेरिका की अपलेशियन पर्वत शृंखला से की जाती है-

(A)विंध्याचल
(B)हिमालय
(C)अरावली
(D)सतपुड़ा

Ans: (C)अरावली
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