राजस्थान राज्य के प्रतीक चिन्ह, राजस्थान राज्य के प्रतीक चिन्ह PDF, राजस्थान राज्य के प्रतीक चिन्ह प्रश्नोत्तरी, etc.
नमस्कार toppers , “राजस्थान राज्य के प्रतीक चिन्ह “ के बारे में आज हम सारे टॉपिक्स को कवर करने वाले है तो में आशा करती हु की आप बहुत ही ध्यान से इस कंटेंट को पढ़ेंगे।
राज्य पुष्प (Rajasthan State Flower) :-राजस्थान राज्य के प्रतीक चिन्ह
रोहिड़ा (Tecomella Undulata)
रोहिड़ा को 1983 में राजस्थान का राज्य पुष्प घोषित किया
यह मुख्यत: थार मरुस्थल में पाया जाता है, इसे मारवाड़ टीक के नाम से भी जाना जाता है |

राज्य वृक्ष (Rajasthan State Tree) :
खेजड़ी (Prosopis Cineraria)
खेजड़ी को 1983 में राज्य वृक्ष घोषित किया गया
इसे राजस्थान का कल्प वृक्ष, शमी, जांटी के नाम से भी जाना जाता है, इसके फूल को मींझर, फल को सांगरी कहा जाता है

राज्य पक्षी (Rajasthan State Bird) :
गोडावण (Great Indian Bustard)
गोडावण को 1981 में राजस्थान का राज्य पक्षी घोषित किया |
यह मुख्यत: मरू उद्यान (Desert National Park) – जैसलमेर में पाया जाता है |
जैसलमेर की सेवण घास इस के लिये उपयुक्त है, यह सोहन चिड़िया तथा शर्मीला पक्षी के नाम से भी जाना जाता है |

राज्य नृत्य (Rajasthan State Dance):
घूमर (Ghoomar)
यह राजस्थान का परंपरागत लोकनृत्य है |
इसे राजस्थान की आत्मा भी कहा जाता है |

राज्य खेल (Rajasthan State Game): बास्केटबाल (Basketball)
- बास्केटबाल को 1948 में राज्य खेल घोषित किया गया
- बास्केटबॉल में प्रत्येक टीम में 5 खिलाडी होती है
- इस खेल को नियंत्रित करने वाली संस्था “अन्तर्राष्ट्रीय बास्केटबॉल संघ “(International Basketball Federation, more commonly known as FIBA) है |
राजस्थान का राज्य पशु – चिंकारा तथा ऊँट
राजस्थान में राज्य पशु की दो श्रेणियाँ हैं –
- जंगली पशु
- पालतू पशु
जंगली पशु – चिंकारा

- वैज्ञानिक नाम – गजेला बेनेट्टी
- चिंकारा को छोटा हिरन के उपनाम से भी जाना जाता है।
- यह “एन्टीलोप” प्रजाती का एक मुख्य जीव है। राजस्थान के जंगली पशु की श्रेणी में इसे राज्य पशु की उपाधि प्राप्त है।
- चिंकारा को 1981 में राज्य पशु घोषित किया गया।
- राजस्थान में जयपुर का नाहरगढ़ अभ्यारण्य चिंकारा के लिए प्रसिद्ध है।
- यह एक शर्मीला जीव है तथा सर्वाधिक राजस्थान के ‘मरू भाग’ में पाया जाता है।
पालतू पशु – ऊँट

- उपनाम – रेगिस्तान का जहाज
- राजस्थान सरकार ने 30 जून 2014 को ऊँट को राजस्थान के राज्य पशु का दर्जा दिया था। जिसकी घोषणा 19 सितम्बर 2014 को बीकानेर में की गई।
- राजस्थान में सर्वाधिक ऊँटों वाला जिला बाड़मेर तथा सबसे कम ऊँटों वाला जिला प्रतापगढ़ है।
- राजस्थान में ऊँटों की नस्लें – गोमठ ऊँट, नाचना ऊँट, जैसलमेरी ऊँट, अलवरी ऊँट, सिंधी ऊँट, कच्छी ऊँट, बीकानेरी ऊँट
- राजस्थान के लोकदेवता पाबूजी को ऊंटो का देवता भी कहते है।
- राजस्थान में ऊँट पालने के लिए रेबारी जाति प्रसिद्ध है।
- ऊँट की खाल पर की जाने वाली कलाकारी को उस्ता कला तथा ऊंट की खाल से बनाये जाने वाले ठण्डे पानी के जलपात्रों को काॅपी कहा जाता है।
- ऊंटनी के दूध में भरपुर मात्रा में Vitamin-C पाया जाता है। बीकानेर में स्थित उरमूल डेयरी भारत की एकमात्र ऊँटनी के दूध की डेयरी है।
- गोरबंद राजस्थान का ऊँट श्रृंगार का गीत है।
- ऊँट के नाक में डाले जाने वाला लकड़ी का बना आभूषण गिरबाण कहलाता है।
- गंगासिंह ने पहले विश्वयुद्ध में ‘गंगा रिसाला’ नाम से ऊंटों की एक सेना बनाई थी जिसके पराक्रम को (पहले और दूसरे विश्वयुद्ध में) देखते हुए बाद में इसे बीएसएफ में शामिल कर लिया गया।
राज्य मिठाई – घेवर

घेवर डिस्क के आकार राजस्थान की प्रसिद्ध मिठाई है। यह मिठाई यहां कई वर्षों से प्रसिद्ध है और अधिकतर त्योहारों जैसे मकर संक्रांति, गणगौर, तीज और रक्षा बंधन के दौरान इसकी मांग अधिक होती है। जयपुर का तीज उत्सव घेवर के बिना अधूरा माना जाता है।
इसे बनाने में मैदा, देसी घी, दूध, केसर, इलायची पाउडर और चीनी का उपयोग किया जाता है। बाजार में घेवर के विविध प्रकार रबड़ी घेवर, मलाई घेवर, मावा घेवर, पनीर घेवर आदि मिलते हैं।
सिंजारा
तीज और गणगौर पर कुंवारी कन्याओं जिनकी सगाई हो गई हो, या नवविवाह स्त्रियों को ससुराल पक्ष से एक रस्म के रूप में कपडे गहने व सुहाग का सामान तथा यह प्रसिद्ध मिठाई घेवर उपहार में दी जाती है। इसे सिंजारा कहा जाता है और यह राजस्थान की पारम्परिक रस्मों में से एक है।
राजस्थान का राजकीय गीत – केसरिया बालम
- यह लोकगीत ढोला-मारू की प्रेम कहानी से जुड़ा हुआ है।
- इस गीत को सर्वप्रथम उदयपुर की मांगी बाई के द्वारा गया।
- इस गीत को अन्तराष्ट्रीय स्तर पर बीकानेर की अल्ला जिल्ला बाई के द्वारा गाया गया।
- अल्ला जिल्ला बाई को राज्य की मरूकोकिला और बाई जी के नाम से भी जाना जाता है। इस गीत को मांड गायिकी में गाया जाता है।
- अल्ला जिल्ला बाई ने सबसे पहले केसरिया बालम बीकानेर महाराजा गंगासिंह के दरबार में गाया था।
राजस्थान का शास्त्रीय नृत्य- कत्थक नृत्य
-राजस्थान मे कत्थक नृत्य का सबसे प्राचीन घराना जयपुर घराना है
-भानूजी को कत्थक नृत्य का जनक माना जाता है तथा ये जयपुर घराने के प्रसिद्ध कलाकार थे .
राजस्थान के प्रतिक चिन्ह महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर
राजस्थान का राज्य वृक्ष कौन सा है ?
उत्तर- खेजड़ी
राजस्थान का राज्य पक्षी कौन सा है ?
उत्तर- गोडावण
राजस्थान का राज्य पुष्प कौन सा है ?
उत्तर- रोहिड़ा
राजस्थान का राज्य खेल कौन सा है ?
उत्तर- बास्केटबाल
राजस्थान का राज्य पशु कौन सा है ?
उत्तर- चिंकारा / ऊंट
राजस्थान का राज्य लोक गीत कौन सा है ?
उत्तर- केसरिया बालम( Kesaria Balam)
राजस्थान का राज्य लोक नृत्य कौन सा है ?
उत्तर- घुमर
राजस्थान का राज्य शास्त्रीय नृत्य कौन सा है ?
उत्तर- कत्थक
राजस्थान का राज्य दिवस होता है ?
उत्तर- 30 मार्च
राजस्थान का राजकीय पक्षी है ?
उत्तर- गोडावण
राजस्थान का राजकीय चिन्ह (Rajasthan ke pratik chinh है ?
उत्तर- अशोक का सिंह-स्तम्भ
राजस्थान का राज्य वृक्ष को कब घोषित किया गया?
राजस्थान का राज्य वृक्ष को 1983 में राज्य वृक्ष घोषित किया गया।
राजस्थान का राज्य पशु – चिंकारा, ऊँट को कब घोषित किया गया?
चिंकारा– चिंकारा को 1981 में राज्य पशु घोषित किया गया।यह “एन्टीलोप” प्रजाती का एक मुख्य जीव है। इसका वैज्ञानिक नाम गजैला-गजैला है। चिंकारे को छोटा हरिण के उपनाम से भी जाना जाता है। चिकारों के लिए नाहरगढ़ अभ्यारण्य जयपुर प्रसिद्ध है। राजस्थान का राज्य पशु ‘चिंकारा’ सर्वाधिक ‘मरू भाग’ में पाया जाता है।
राजस्थान का राज्य पक्षी – गोेडावण को कब घोषित किया गया?
1981 में इसे राज्य पक्षी के तौर पर घोषित किया गया। इसे ग्रेट इंडियन बस्टर्ड भी कहा जाता है। यह शर्मिला पक्षी है और इसे पाल-मोरडी व सौन-चिडिया भी कहा जाता है। इसका वैज्ञानिक नाम “क्रोरियोंटिस-नाइग्रीसेप्स” है।
राजस्थान का राज्य गीत -“केसरिया बालम आओ नी पधारो म्हारे देश।”
इस गीत को सर्वप्रथम उदयपुर की मांगी बाई के द्वारा गया। इस गीत को अन्तराष्ट्रीय स्तर पर बीकानेर की अल्ला जिल्ला बाई के द्वारा गाया गया। अल्ला जिल्ला बाई को राज्य की मरूकोकिला कहते है। इस गीत को मांड गायिकी में गाया जाता है।
राजस्थान का राज्य पुष्प रोहिडा कब घोषित किया गया?
रोहिड़ा के फूल को 1983 में राज्य पुस्तक घोषित किया गया था और इसे मरू सौभाग्य से लेगी स्थान का सागवान भी कहते हैं .
राजस्थान के राज्य प्रतीक कौन कौन से हैं?
राजकीय पुष्प = रोहिड़ा
राजकीय पक्षी = गोडावण
राजकीय पशु = ऊंट / चिंकारा
राजकीय वृक्ष = खेजड़ी
राजकीय खेल = बास्केटबॉल
राजकीय लोक नृत्य = घूमर
राजकीय गीत = केसरिया बालम आओ नी पधारो म्हारे देश
राजकीय मिठाई = घेवर
राजस्थान का राष्ट्रीय वृक्ष कौन सा है?
राजस्थान का राजकीय वृक्ष ‘खेजड़ी’ राज्य के मूल इतिहास और सांस्कृतिक परिवेश का अहम हिस्सा hain .
राजस्थान का खाना पीना क्या है?
राजस्थान के खान पान में शामिल आहार अद्वितीय हैं क्योंकि उनका आविष्कार राजपूताना में ही हुआ है जैसे -दाल-बाटी -चूरमा , गट्टे की सब्जी, घेवर , केर सांगरी की सब्जी आदि। इसके साथ ही राजस्थानी खाने में सूखे मसाले,सूखे मेवो, घी, दूध ,दही,दाल ,बेसन आदि का अधिक इस्तेमाल होता है जो इसे स्वाद में बहुत ही लाजवाब बना देता हैं।
आज अपने क्या सीखा?
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