चित्तौड़गढ़ दुर्ग 

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स्थिति : चित्तौड़गढ़  निर्माण : चित्रांगद मौर्य (7 वीं सदी ) पुनः निर्माण : महाराणा कुंभा  श्रेणी : गिरी ( मेसा के पठार पर स्थित ) नदियाँ : गंभीरी तथा बेडच 

उपनाम : राजस्थान का गौरव , दक्षिण का प्रहरी , चित्रकूट दुर्ग , स्वाभिमानी दुर्ग 

आकृति : व्हेल मछली के समान  प्रवेश द्वार : सर्पिलाकार  2 किमी . लम्बा तथा 8 किमी . चौड़ा दुर्ग   राजस्थान का सबसे बड़ा living fort 

इस दुर्ग के कुल 8 प्रवेश द्वार है - पाडन पोल , भैरव पोल , राम पोल , लक्षमण पोल , हनुमान पोल , सूरज पोल , जोड़ला पोल 

दुर्ग के पीछे का छोटा प्रवेश द्वार लाखेटा की बारी कहलाता है 

राजस्थान का सर्वाधिक शाकों (जौहर + केसरिया ) वाला किला [3 }

चित्तौड़गढ़ के 3 शाके - (1 ) 26 अगस्त 1303  केसरिया - रावल रतनसिंह  जौहर - रानी पद्मिनी  आक्रमण - अलाउदीन खिलजी  ( राजस्थान का सबसे बड़ा शाका )

चित्तौड़गढ़ के 3 शाके - (2  ) 1534 ई . केसरिया - रावत बाघसिंह  जौहर - रानी करनावती  आक्रमण - बहादुर शाह 

चित्तौड़गढ़ के 3 शाके - (3 ) 1567 - 68 ई . केसरिया - जयमल , फतेसिंह  जौहर - फुलकंवर  आक्रमण - अकबर 

दुर्ग में विभिन्न दर्शनीय स्थल -  पद्मिनी महल , गोरा  बादल महल , घोसुण्डी बावड़ी , विजय स्तंभ , श्रृंगार चंवरी , काली माता मंदिर , तुलजा भवानी मंदिर 

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