जानिये तिरंगे से सम्बंधित नियम में क्या बदलाव हुए है ? 

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भारत में तिरंगा फहराने से जुड़े सारे नियम-कायदे फ्लैग कोड 2002 के तहत आते हैं. ये फ्लैग कोड 26 जनवरी 2002 से लागू है 

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2002 से पहले तिरंगा फहराने के नियम एम्बलेम्स एंड नेम्स (प्रिवेन्शन ऑफ इम्प्रॉपर यूज) एक्ट, 1950 और प्रिवेन्शन ऑफ इंसल्ट्स टू नेशनल ऑनर एक्ट, 1971 के तहत आते थे |

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दूसरे भाग में आम लोग, निजी संगठन और दूसरे संस्थानों के तिरंगा फहराने से जुड़े नियम हैं. और तीसरे भाग में केंद्र, राज्य सरकार और उनसे जुड़े संगठन-एजेंसियों के तिरंगा फहराने से जुड़े नियम-कानून हैं 

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अब क्या बदलाव हुए हैं?  पहलाः अब तक हाथ से बुना और काता हुआ ऊन, कपास या रेशमी खादी से बना राष्ट्रीय ध्वज ही फहराने की इजाजत थी. लेकिन अब मशीन से बना हुआ कपास, उन या रेशमी खादी  से बना तिरंगा भी फहरा सकते हैं. साथ ही अब पॉलिएस्टर से बना तिरंगा भी फहराया जा सकता है|

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अब क्या बदलाव हुए हैं?  दूसराः अब तक किसी घर, निजी संगठन या दूसरे संस्थानों में तिरंगे को सूर्योदय से सूर्यास्त तक ही फहराने की इजाजत थी. रात के समय राष्ट्रीय ध्वज को नहीं फहराया जा सकता था. लेकिन अब आम लोग, निजी संगठन या संस्थान दिन और रात तिरंगा फहरा सकते हैं. यानी, 24 घंटे तिरंगा फहराया जा सकता है 

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भारत में तिरंगे के साइज को लेकर कोई नियम नहीं है. ये कितना भी बड़ा और कितना भी छोटा हो सकता है. लेकिन तिरंगा हमेशा आयताकार होगा, जिसका अनुपात 3:2 होगा |

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हालांकि, VVIP के एयरक्राफ्ट पर 450X300 mm, मोटर कार पर 225X150 mm और टेबल पर 150X100 mm साइज का तिरंगा होगा 

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 तिरंगे में हमेशा सबसे ऊपर केसरिया और नीचे हरा रंग होगा. बीच में सफेद कलर होगा, जिस पर अशोक चक्र बना रहेगा. अशोक चक्र के अंदर 24 तीलियां ही होंगी |

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 पर इसमें बदलाव क्यों? ऐसा इसलिए ताकि लोगों को घर पर तिरंगा फहराने के लिए मोटिवेट किया जा सके. अब तक लोगों को रात में तिरंगा फहराने की इजाजत नहीं थी , लेकिन अब रात में भी तिरंगा फहरा सकते हैं |

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