यहां हर दिन दूर-दराज से ऊपरी चक्कर और प्रेत बाधा से परेशान लोग मुक्ति के लिए आते हैं। मूर्ति की खास बात यह है इसमें बायीं ओर एक छेद है जिससे लगातार जल बहता रहता है।
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किराडू मंदिर, बाड़मेर
इसे ‘राजस्थान का खजुराहो’ भी कहा जाता है। लेकिन इस मंदिर में अगर कोई भी शाम के बाद रुका तो कभी लौटकर नहीं आया। कहा जाता है कि किराडू पर एक साधू का शाप है।
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पुष्कर मंदिर , अजमेर
यह मंदिर विश्प में ब्वम्राजी का एकमात्ह मंदिर है ,रद्म पुराण में ऐसा वर्णन मिलता है कि ब्रह्मा जी की पत्नी सावित्री ने उन्हें श्राप दिया था कि देवता होने के बावजूद कभी भी उनकी पूजा नहीं होगी।
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तनोट माता, जैसलमेर
ऐसा कहा जाता है कि 1971 के युद्ध के दौरान भारतीय सीमा में 4 किलोमीटर तक घुस आई पाकिस्तानी सेना इस मंदिर को पार नहीं कर पाई थी और उसके द्वारा बरसाए गए गोले भी इस मंदिर पर बेअसर रहे थे।
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करणी माता मंदिर,बीकानेर
यहां तकरीबन 20हजार चूहे हैं। कहते हैं कि यह करणी माता की संताने हैं, यह सुबह की मंगला आरती और शाम की संध्या आरती में जरूर शामिल होते हैं। यहां मां को चढ़ाने वाले प्रसाद को पहले चूहों को खिलाते हैं। इसके बाद भक्तों में बांटते हैं।
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मां भुवाल काली माता मंदिर, नागौर
इस मंदिर की मान्यता है कि यहां माता ढाई प्याला शराब ग्रहण करती हैं। साथ ही बचे हुए प्याले की शराब को भैरव पर चढ़ाया जाता है। इस मंदिर का निर्माण डाकूओं ने करवाया था।
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प्रेतराज सरकार
यहां हर दिन 2 बजे प्रेतराज सरकार के दरबार में पेशी यानी की कीर्तन होता है, जिसमें लोगों पर आए ऊपरी सायों को दूर किया जाता है। मंदिर के किसी भी तरह के प्रसाद को आप खा नहीं सकते और ना ही किसी को दे सकते हैं।
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