यह मेला सोम, माही व जाखम नदियों के संगम पर मेला भरता है। यह मेला माघ पूर्णिमा को भरता हैं। इस मेले को बागड़ का पुष्कर व आदिवासियों मेला भी कहते है।
9
घोटिया अम्बा मेला (बांसवाडा)
यह मेला चैत्र अमावस्या को भरता है। इस मेले को “भीलों का कुम्भ” कहते है।
8
फूल डोल मेला (शाहपुरा- भीलवाडा)
यह मेला चैत्र कृष्ण एकम् से चैत्र कृष्ण पंचमी तक भरता है।
7
अन्नकूट मेला (नाथ द्वारा- राजसंमंद)
यह मेला कार्तिक शुक्ल एकम को भरता है। अन्नकूट मेला गोवर्धन मेले के नाम से भी जाना जाता है।
6
चौथ माता का मेला (चैथ का बरवाडा – सवाई माधोपुर)
यह मेला माध कृष्ण चतुर्थी को भरता है। इस मेले को “कंजर जनजाति का कुम्भ” कहते है।
5
सीताबाड़ी का मेला (केलवाड़ा – बांरा)
यह मेला ज्येष्ठ अमावस्या को भरता है। इस मेले को “सहरिया जनजाति का कुम्भ” कहते है। हाडौती अंचल का सबसे बडा मेला है।
4
चन्द्रभागा मेला (झालरापाटन -झालावाड़)
यह मेला कार्तिक पूर्णिमा को भरता है। चन्द्रभागा नदी पर बने शिवालय में पूजन होता हैं। इस मेले के साथ-साथ पशु मेला भी आयोजित होता है|
3
रामदेव मेला (रामदेवरा-जैसलमेर)
इस मेले का आयोजन रामदेवरा (रूणिचा) (पोकरण) में होता है। इस मेले में आकर्षण का प्रमुख केन्द्र तेरहताली नृत्य है जो कामड़ सम्प्रदाय की महिलाओं द्वारा किया जाता है।
2
कजली तीज का मेला (बूंदी)
यह मेला भाद्र कृष्ण तृतीया को भरता है।
1
त्रिनेत्र गणेश मेला (रणथम्भौर -सवाई माधोपुर)
यह मेला भाद्र शुक्ल चतुर्थी को भरता है।
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