राजस्थान के प्रमुख मेले

10

बेणेश्वर धाम मेला (डूंगरपुर) 

यह मेला सोम, माही व जाखम नदियों के संगम पर मेला भरता है। यह मेला माघ पूर्णिमा को भरता हैं। इस मेले को बागड़ का पुष्कर व आदिवासियों मेला भी कहते है। 

9

घोटिया अम्बा मेला (बांसवाडा)  

यह मेला चैत्र अमावस्या को भरता है। इस मेले को “भीलों का कुम्भ” कहते है। 

8

फूल डोल मेला (शाहपुरा- भीलवाडा)   

यह मेला चैत्र कृष्ण एकम् से चैत्र कृष्ण पंचमी तक भरता है। 

अन्नकूट मेला (नाथ द्वारा- राजसंमंद)  

यह मेला कार्तिक शुक्ल एकम को भरता है। अन्नकूट मेला गोवर्धन मेले के नाम से भी जाना जाता है।  

चौथ माता का मेला (चैथ का बरवाडा – सवाई माधोपुर)  

यह मेला माध कृष्ण चतुर्थी को भरता है। इस मेले को “कंजर जनजाति का कुम्भ” कहते है।  

सीताबाड़ी का मेला (केलवाड़ा – बांरा) 

यह मेला ज्येष्ठ अमावस्या को भरता है। इस मेले को “सहरिया जनजाति का कुम्भ” कहते है। हाडौती अंचल का सबसे बडा मेला है। 

चन्द्रभागा मेला (झालरापाटन -झालावाड़) 

यह मेला कार्तिक पूर्णिमा को भरता है। चन्द्रभागा नदी पर बने शिवालय में पूजन होता हैं। इस मेले के साथ-साथ पशु मेला भी आयोजित होता है|

3  

रामदेव मेला (रामदेवरा-जैसलमेर)  

इस मेले का आयोजन रामदेवरा (रूणिचा) (पोकरण) में होता है। इस मेले में आकर्षण का प्रमुख केन्द्र तेरहताली नृत्य है जो कामड़ सम्प्रदाय की महिलाओं द्वारा किया जाता है।  

2  

कजली तीज का मेला (बूंदी) 

यह मेला भाद्र कृष्ण तृतीया को भरता है। 

त्रिनेत्र गणेश मेला (रणथम्भौर -सवाई माधोपुर)  

यह मेला भाद्र शुक्ल चतुर्थी को भरता है। 

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